मराठे और अंग्रेज | Marathi Aur Angrej PDF In Hindi

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मराठे और अंग्रेज – Marathi Aur Angrej Pdf Free Download

मराठे और अंग्रेज

गायकवाड़ और पेशवा बारडमी के सम्बन्ध में बहुन दिनों से झगड़ा चल रहा था। पेशवा में गायकवाड़ पर अपना बहुत सा कर्ज निकला था। परंतु गाय कदा डेल्टा कहना था कि पेशवा पर हमारा कुछ कड़्जा निकलवा हैं ।

मंतः पैसा से तगड़ा बोलने के लिए गायकवाड ले शास्त्री पटवर्धन नामक अपना एक कारमारी भडरैजों की मार्फत सन् १८१४ में भेजा ।

श्री यद्यपि बड़ोदा का दीवान था, परन्तु उसके जीवन का बंधन कुछ माग नीचे दंगे का काम करने में व्यतीत हुआ था ।

अतः ऐसे मनुष्य का वकील बन कर समानता के नाते से यातचीत करने को आना बाजीराव को पसन्द नहीं हुआ ।

एलफिस्टन सहाय ने एक स्थान पर इस शुक्र का बड़ा ही मनोरम र वर्णन किया है। वे लिखते हैं:-“गंगाधर शास्त्री बहुत धूप और बतुर है।

इसने बड़ोदा राज्य की व्यवस्था बहुत उत्तम कर रक्खो है। पूना में बहुत ख़र्चकर यड़े ठाठ से रहता है और अपनी सवारी इस सजधज से निकालता है कि लोगों से देखते ही चैन आता है ।

यद्यपि वह पुराने ढंग का है तो मी ठेठ अंग्रेजों के समान रहने का अभिमान करता है । जल्दो जल्दो चलता है और शीघ्रता से बोलता है ।

चाहे जिसे लोटकर जवाब दे देता है । पेशवा और उनके को मारो को मूर्ख कहता है। “डेम-रास्कल” शब्द उसकी ज़बान पर रहते हैं।

बातचीत में बोच बीच में अंग्रेजी शब्दों का भी प्रयोग कर देता है।

गायकवाड़ की ओर से अंग्रेजों के द्वारा झगड़ने को ऐसे मनुष्य का आना बाजीराव के दरबार में प्रसन्नता का कारण होना एक सहज बात है। गङ्गाधर शास्त्री को में हिसाब लेते लेते और बातचीत करते |

तक नहीं हैं तो हमसे मिलकर रहने की तो बात हो क्या है? उनमें जान्यभिमान की मांत्रा बहुत अधिक है और इसलिए वे भारतवासियों से दूर रहते हैं। यही कारण है कि उनके विचार और समाचार चाहर नहीं फूटने पाते ।

और इसी कारण से उनके सम्बन्ध में झूठी अफवाहें नहीं उड़ पातीं 1 अंगरेज़ों से युद्ध करने में, सिंधिया और भोंसले का पराजय हो जाने पर भी, मराठों को यशवंतराव होलकर पर विश्वास था कि यह कभी न हारेगा; अतः जब होलकर और अंगरेज़ों का युद्ध छिड़ा तब पूने के बाज़ार में होलकर की विजय के समाचार चार बार फैलने लगे। इन समाचारों में अतिश योक्ति और असंगतता बिहुत अधिक रहती थी ।

ये समाचार उत्तर भारत से जो पत्र आते थे उनमें लिखे रहते थे। और खुद पूने में जो समाचार उड़ते थे उनमें कोई कोई तो बहुत ही विचित्र होते थे।

जैसे, एक समाचार फैला था कि “होलकर ने अंगरेज़ों को पकड़ा है, उनमें से तीनसो अंगरेज़ों की नाक काटकर उन्हें छोड़ दिया है, जिनमें से दो सौ यहाँ आये हैं।

उन्हें यहाँ के अंगरेजों ने विलायत भेजने के लिए बंबई भेजा; परंतु बंबईवाले अङ्गरेजों ने इस भय से कि यदि ये नकडे विलायत जावेंगे तो वहाँ अपनी बदनामी होगो और दंड मिलेगा, उन्हें जहाज में बैठाकर • समुद्र में डुबो दिया।

Pande यद्यपि इन समाचारों पर समझदार लोगों को विश्वास नहीं होता था तथापि सामान्य लोगों को तो ये सत्य मालूम “होते होंगे, इसमें संदेह नहीं। पटवर्धन का पूना दरबार में रहनेवाला वकील अपने मालिकों को होलकर की विजय.

लेखक नरसिंह चिंतामण – Narasingh Chintaman
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 560
Pdf साइज़20 MB
Categoryइतिहास(History)

महाराष्ट्र इतिहास PDF

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