ज्योति पुंज – Jyoti Punj Book/Pustak Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
संसार में उन्हीं मनुष्यों का जन्म धन्य है, जो परोपकार और सेवा के लिए अपने जीवन का कुछ भाग अथवा संपूर्ण जीवन समर्पित कर पाते हैं।
विश्व इतिहास का निर्माण करने में ऐसे ही सत्पुरुषों का विशेष योगदान रहा है। संसार के सभी देशों में सेवाभावी लोग हुए हैं; लेकिन भारतवर्ष की अपनी विशेषता रही है, जिसके कारण वह अपने दीर्घकाल के इतिहास को जीवित रख पाया है।
भारतवर्ष में जो उदाहरण प्रस्तुत हुए हैं, वे अन्यत्र दुर्लभ हैं। इनमें सर्वाधिक नाम अगर किसी का लिया जा सकता है तो महर्षि दधीच का है।
किसी ने समय दिया, किसी ने जवानी दी, किसी ने धन और वैभव छोड़ा, किसी ने कारावास की कठिन वेदना सही। भारतवर्ष की धरती धन्य है, यहाँ का धर्म धन्य है, यहाँ के भगवान् धन्य हैं, जिन्होंने राक्षसों का विनाश करने के लिए एक ऋषि को अपना संपूर्ण शरीर दान कर देने की अद्भुत प्रेरणा प्रदान की।
कोई व्यक्ति किसी के पास जाकर प्रार्थना करे कि मुझे भूमि दे दीजिए, राजा प्रसन्न होकर भूमिदान देगा। किसी विद्वान् के पास जाइए और उससे कहिए कि महाराज, मुझे विद्या-दान कीजिए, वह बारह वर्ष तक पढ़ाकर अपनी विद्या दे देगा।
किसी वस्त्र व्यवसायी से वस्त्र माँगिए तो आपका तन ढकने के लिए वह वस्त्र दे देगा, कोई संपत्ति दे देगा।
संपत्तिदान, विद्यादान, वस्त्रदान, भूमिदान, विद्वान् ब्राह्मणों के कर्मकांडों द्वारा पुण्यदान—– यह सबकुछ सुना गया था; लेकिन किसी ने सुना ही नहीं था कि कोई अपना प्राणदान कर सकता है।
महर्षि दधीच ने प्रसन्नतापूर्वक अपने शरीर का प्रत्येक भाग, पूर्ण काया विवेकपूर्वक राक्षसों का विनाश करने के लिए, वृत्रासुर का विनाश करने के लिए समर्पित कर दी। ऐसा अद्भुत त्याग संसार में कहाँ मिलता है ?
ऐसे कठिन कलिकाल में यह रसधारा सूखी नहीं है। परमेश्वर की कृपा से एक महापुरुष का आविर्भाव हुआ, जिन्हें सारा देश जानता है।
परम पूज्य डॉ. केशव बलिराम हेडगेवारजी, जिनको हम डॉ. हेडगेवारजी के नाम से भी पुकारते हैं।
उनके मन में विचार आया कि राष्ट्र की सेवा करने के लिए कुछ लोग होने चाहिए। सब लोग अपने खाने पीने, भोजन, निवास, संतति- इन्हीं सबके निर्माण में लगे रहेंगे तो इस देश का निर्माण कौन करेगा?
अपनी भारतमाता के स्वरूप का रक्षण कौन करेगा?
इसके लिए एक ओर राजनीतिक दृष्टि से बहुत लोग प्रयत्न कर रहे थे, उनका हम विस्मरण नहीं कर सकते हैं, पर दूसरी ओर डॉ. हेडगेवारजी के मन में पूरा विश्वास था कि राजनीति अंततोगत्वा समाज को तोड़ देती है, उसमें व्यक्तिगत स्वार्थ उभरकर आता है।
सद्गुणों का प्रचार कम होता है और जिनके स्वार्थ पूर्ण नहीं होते हैं, वे सद्गुणियों को भी दुर्गुणी सिद्ध करने का प्रयास करने लगते हैं।
यह विचार उनके मन में निश्चित रूप से रहा होगा, जिससे उन्होंने राजनीति से दूर रहकर राष्ट्र का निर्माण और व्यक्ति के निर्माण के लिए ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ की स्थापना की।
उस समय बहुत थोड़े से लोग उनके साथ थे; लेकिन कोई वस्तु छोटी-बड़ी नहीं होती है, ऐसा तो हमें मानना ही नहीं चाहिए।
मुझे दो स्थानों पर जाने का अवसर मिला- एक कलकत्ता का वटवृक्ष और दूसरा नर्मदा के तट पर कबीर वट।
लेखक | Narendra Modi |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 272 |
Pdf साइज़ | 6 MB |
Category | Literature |
ज्योति पुंज नरेन्द्र मोदी – Jyoti Punj Book/Pustak Pdf Free Download