भारत एक है निबंध | Hamari Sanskruti Ekata PDF In Hindi

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हमारी संस्कृति एकता – Bharat Ek hai Pdf Free Download

भारत एक है निबंध

संस्कृति का स्वभाव है कि यह आदान-प्रदान से बढ़ती है। जब भी दो देश यागिज्य व्यापार अथवा पात्रता या मित्रता के कारण आपस में बिलते हैं, तब उनकी संस्कृतियाँ एक दूसरे को प्रभावित करने लगती है,

ठीक उसी प्रकार, जैसे दो व्यक्तियों की संगति का प्रभाव दोनों पर पड़ता है। संसार में, शायद ही, ऐसा कोई देश हो जो यह दावा कर सके कि उसपर किसी जन्य देश को संस्कृति का प्रभाव नहीं पड़ा है।

इसी प्रकार, कोई जाति भी यह नहीं कह सकती कि उसपर किसी दूसरी जाति का प्रभाव नहीं है।

जो जाति केवल देना ही जानती है, लेना कुछ नहीं, उसकी संस्कृति का एक-न-एक दिन दिवाला निकल जाता है। इसके विपरीत, जिस जलाशय के पानी लानेवाले दरवाजे बराबर खुले रहते है,

उसकी संस्कृति कभी नहीं सूखाती । उसमें सदा ही स्वच्छ जल लहराता रहता है और कमल के फूल खिलते रहते हैं। कूपमण्डूमता और दुनिया से साठमार अठग बैठने का भाव संस्कृति को ले इबता है ।

अक्सर देखा जाता है कि जब शम एक भाषा में किसी अद्भुत कला की विकसित होते देखते हैं,

तब तुरंत पास-पड़ोस या सम्पकंवाली दूसरी भाषा में हम उसके उरस की खोज करने लगते हैं। पहले एक भाषा में ‘शेली’ और ‘कीट्स पैदा होते हैं, तब दूसरी भाषा में रवीन्द्र उत्पन्न होते है ।

पहले एक देश में बुद्ध पैदा होते हैं, तब दूसरे देश में ईसामसीह का जन्म होता है

अगर मुसलमान इस देश में नहीं आये होते तो कबीर का जन्म नहीं होता, न मोगल-बालम की चित्रकारी ही यहाँ पैदा हुई होती।

अगर यूरोप से भारन का सम्पर्क नहीं हा होता तो भारत की विचारवार पर विज्ञान का प्रभाव देर से पहता और राममोहन राय, दयानंद, राम हप्य परमहंग लिकेकानन्य और गांधी में से कोई

देशाव्या अपना धापाकेका आपस में मिलते हैं, तब उनकी कृतियों एक दूसरे को प्रभावित करते है बैंक का प्रावदा पर है। संसार में शायद ही ऐसा कोई देश ही जो यह दावा करीत नहीं है। भी उसका प्रभाव नहीं है।

कोजाना हो जाती है, कुछ नही एक-एक दिन है। इसके के पानी लावा दरवाजे बराबर है ही। होता है और रहते है और दुनिया से कृतिको है कि एक भाषा में की उत्कएको पैदा होते है, दूसरी माया में है।

पहले एक देश में कु पैदा होते है, तब दूसरे देश में होता है।

अरमान देश में नहीं जान कीचकारी हो यहाँ हुई होती। अगर यूरोप से भारत का नहीं हुआ होता तो भारत की विचारद्वारा परा प्रभाव देर से पहला.

लेखक रामधारी दिनकर-Ramdhari Dinkar
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 142
Pdf साइज़7.5 MB
Categoryप्रेरक(Inspirational)

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