धन्वन्तरि आयुर्वेद – Dhanvantari Vanaushadhi Samhita Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
उचाला आयुर्वेद मयन द्वारा विशुद्ध आयुर्वेदिक कैयसो का निर्माण जनवरी १६७४ से प्रारम्भ हुआ है इतने आप समय में हमारे कैपसूलों में जो ए्याि प्राथ् को है उस पर हमको गर्व है।
हमारा विचार रहा है कि स्वोत्तम औषधियों को निर्माण करें सबा अपने चिरकालीन अनुभव के आधार पर सफल प्रमाणित प्रयोगों के द्वारा इनको बनायें, जिससे कि ये कैपसूल कीघ्र प्रमादकारी हों इसी विचार के कार्यान्वित करने का परिणाम है
कि जिसने इनको व्यवहार किया उसी मे प्रसंशा की और बार बार मंगायै । बे कैपसूल मिना अधिक प्रचार के मात्र अपने गुणों के आधार पर ही उत्तरोत्तर प्रगति कर रहे हैं। अन्य कम्पनियों के समान न हमने फ्री सम्पिल वितरित किये हैं और न धुआंधार प्रचार ही किया है।
“धन्वन्तरि” एवं मासिक रिपोर्ट के माध्यम से ही आयुर्वेद-समाज के समक्ष प्रस्तुत किये गये हैं और आज स्थिति बहुत आशावालक है। प्रति माह लगमग ३ ला कैंपसूलों को इस समय मांग है तथा हमको विश्वास है कि इनकी मांग बराबर बढ़ेगी।
पाएर रोगों के का बम्यक परिचय कनो ही प्रकार की माइन विषय है। निमेपाल में ये भी विषय परिपूर्ण है। औी बा सर्थशासन योग्य है। भारत मापाय शिवानी ने प्रपने पनस-यती द्वारा इसे अति ब बना दिया है ।
गुपि प्रयोगवाद (चतुर्भ भाग) मची सफा गुप्त प्रयोग ।बोबे मिट्टी क्लियरी पर प्रकट न कर अपने पास ही पुरालेख पपली प्रतिभा दि लिये रकती थे । मन्य मादि के ज्यमस्थापको ने महुक भन क्यम कर चण यो से निता प्रापित करके बन्द भन्मस्वरि में प्रकानार्थ माण करमाया है।
इसमे मशित एक एक योग [चम कार पूर्ण है । इसका धनुभण पलक शिवानी ने के हमे प्रतापन देख मांसा-हर प्रदान किये हैं। कुछ प्राचीन यो भी बन पायाजी पिपने प्रयोग किसी भी प्रकार दूसरी में सही प्रकट करते है।
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लेखक | कृष्णा प्रसाद त्रिवेदी-Krishna Prasad Trivedi |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 548 |
Pdf साइज़ | 45.2 MB |
Category | आयुर्वेद(Ayurveda) |
धन्वन्तरि शास्त्रीय सिद्ध PDF
धन्वन्तरि संहिता PDF Free Download
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