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मांसपेशियों के कार्यों का सचित्र वर्णन – Pictorial Description Of Muscle Functions PDF Free Download
पेशीय तंत्र
मांसपेशी संस्थान अथवा पेशीय संस्थान
मांस संस्थान अथवा पेशी संस्थान (Muscular System) मनुष्य शरीर मांस पेशीय संस्थान के कारण ही सुन्दर तथा सुडौल दिखाई देता है। क्योंकि शरीर का ऊपरी ढाँचा पूर्णतः मांसाच्छादित होता है। मनुष्य शरीर का अधिकांश वाह्य तथा आन्तरिक भाग मांसपेशियों से ढका रहता है।
‘मांस’ अथवा ‘मांसपेशियों लसदार समूह का नाम है। मांसपेशियाँ एक एक मांससूत्र होती है या मांस का गुच्छा होती हैं। मांसपेशियां में संकोचन एवं शिथिलन का विशेषगुण होता है।
संकोचन के विशेष गुण के कारण ही हम अपने हाथ पैर सिर व अन्य शारीरिक अवयवों को विभिन्न दिशाओं में सरलतापूर्वक घुमा सकते हैं, जैसे हाथों से लिखना, पैरों से चलना, मुँह खोलना बंद करना, हृदय का धड़कना, आँखों की पुतलियों का इधर उधर होना, सिकुड़ना आदि कार्य भी इन्हीं मांसपेशियों के विशेष गुण से ही सम्भव है।
मनुष्य शरीर में छोटी बड़ी लगभग कुल 519 मांसपेशियां पायी जाती है। मांसपेशियों दो प्रकार की पायी होती है।
पेशी (Voluntary)
कर सकते है। ऐच्छिक पेशी वे होती है, जो मनुष्य की इच्छानुसार कार्य करती है, ये स्वतंत्र रूप से अपना कार्य करती रहती है। मनुष्य इन्हें अपनी इच्छानुसार चला सकता है।
इच्छानुसार इन्हें नहीं चला सकता है। ये पेशियाँ दिन रात अपना कार्य निरन्तर करती रहती है। जैसे ह्रदय, श्वसन संस्थान, अग्न्याशय, अन्न नली आदि की माँसपेशियाँ अपना कार्य करती रहती है।
पाठको जैसा नाम से स्पष्ट है जिन पेशियों पर हम अपनी इच्छानुसार परिवर्तन ऐच्छिक पेशी जिन्हें पराधीन मांसपेशी भी कहते है।
बनैच्छिक पेशी (Non Voluntary)
पाठको अनैच्छिक पेशीय स्वतंत्र रूप से अपना कार्य करती रहती है। मनुष्य अपनी मनुष्य शरीर की मांसपेशियाँ जितनी सुदृढ होती है। मनुष्य का शरीर मांसपेशियों को सुदृढ़ होने के कारण ही सुगठित, सुन्दर और शक्तिशाली होता है। मांसपेशियों से शरीर को उष्णता प्राप्त होती है। अनैच्छिक मांसपेशी जिन्हें स्वाधीन मांसपेशी भी कहते हैं.
पोषण या पाचक संस्थान अथवा आहार तंत्र
पाचन संस्थान के अन्तर्गत मुख, अन्न नलिका, अग्न्याशय, पक्वाशय, क्लोम ग्रन्थि (अग्न्याशय) पित्ताशय, यकृत, छोटी आँत, बड़ी आँत आते है। पाचन तंत्र विभिन्न खाद्य पदार्थों का पाचन कर शरीर के लिये उपयोगी बनाता है।
जिससे शरीर उनका उपयोग ऊर्जा एवं वृद्धि के लिये कर सके। जब किसी खाद्य पदार्थ को मुँह में दाँतों द्वारा चबाया जाता है, तो इस दौरान मुँह में उस भोज्य पदार्थ में लार ग्रन्थियों से लार निकलकर उसमें मिल जाती है। लार खाद्य पदार्थ को गला देती है जिससे खाद्य पदार्थ आसानी से आमाशय में चला जाता है।
आमाशय एक बड़ी थैलीनुमा होता है, जब आमाशय में लार मिला भोजन पहुँचता है, तब आमाशय की दीवारों की ग्रन्थियों में मौजूद हाइड्रोक्लारिक अम्ल निकलकर भोजन में मिलता है। तत्पश्चात लगभग 3-5 घंटे में इसे पक्वाशय में भेज दिया जाता है।
पक्वाशय में यह भोजन कुछ पतला (लेई जैसा) आता है, इसमें पित्ताशय से पित्त रस यहाँ आकर मिलता है। पित्त और पक्वाशय से निकले रस से भोजन फिर क्षारीय बन जाता है। इसके बाद भोजन छोटी आँत में आता है।
पचे हुये भोज्य पदार्थों का छोटी आँत की दिवारों द्वारा अवशोषण होता है. तथा यह भोजन आँतों में होने वाली गति से आगे बढ़ता जाता है।
छोटी आँत लगभग 6-7 मीटर लम्बी होती है तथा इसके द्वारा भोजन के प्रायः सभी आवश्यक तत्व अवशोषित कर लिये जाते है। इसके बाद पचा हुआ भोजन बड़ी आँत में पहुँचता है। बड़ी आँत में भी कुछ मात्रा में पानी व लवण का अवशोषण होता है। बड़ी आँत में यह क्रिया 5-6 घंटे तक चलती है।
इस क्रिया के पश्चात् पचा हुआ आहार मल के रूप में परिवर्तित हो जाता है। जो उत्सर्जी अंगों द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।
मनुष्य शरीर को भोजन के पाचन द्वारा शर्करा, प्रोटीन, वसा, विटामिन्स, खनिज लवण व पानी आदि प्राप्त होते है। भोजन के पाचन में लगभग 14 18 घंटे तक का समय लग जाता है।
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 295 |
PDF साइज़ | 50 MB |
Category | Education |
Source/Credits | drive.google.com |
मांसपेशियों के कार्यों का सचित्र वर्णन – Pictorial Description Of Muscle Functions PDF Free Download