भारतीय राजनीति के अंतर्विरोध | Bhartiya Rajniti Ke Antarvirodh PDF In Hindi

भारतीय राजनीति के अंतर्विरोध – Indian Politics PDF Free Download

महात्मा गांधी राष्ट्रपिता क्यों कहलाते हैं ?

भाजपा के उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री कल्याणसिंह आदि नेताओं ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहे जाने का विरोध किया है। उनका कहना है कि भारत, जो हिन्दू राष्ट्र है,

बहुत प्राचीन है और उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध तथा बीसवी सदी के पूर्वार्द्ध में हुए गांधी को राष्ट्रपिता नहीं कहा जा सकता; अधिक से अधिक उन्हें भारत माता या हिन्दू राष्ट्र का पुत्र कहा जा सकता है।

स्मरणीय है कि जिन शब्दों पर संघ परिवार गर्व करता है हिन्दू और हिन्दू राष्ट्र वे भारत के प्राचीन ग्रंथों में कहीं नहीं पाये जाते हैं। अपनी पहचान के लिए भी संघ परिवार वालों को ईरानियों तथा

यवनों द्वारा प्रयुक्त शब्दों का ही इस्तेमाल करना पड़ता है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में समस्त भारतवर्ष के लिए जो हिमालय और दक्षिण महासागर के बीच स्थित है चक्रवर्ती क्षेत्र का प्रयोग किया गया है।

महात्मा गांधी के बारे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार के पूर्वाग्रह सुविदित हैं। संघ के लोगों ने स्वयं मुझे बताया था कि उन्होंने अपनी दैनिक प्रार्थना में गांधी का नाम साठ के दशक में शामिल किया था।

तिलक द्वारा राष्ट्र शब्द का प्रयोग : अपने राजनैतिक जीवन के शुरू के दिनों में तिलक ने लिखा है कि बम्बई प्रेजीडेंसी में चार छोटे राष्ट्र हैं : सिंध, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक। बंगाल की स्थिति का जिक्र करते हुए

तिलक ने ‘बंगलाभाषी राष्ट्र’ शब्द का प्रयोग किया और उसके विभाजन के कुटिल इरादों की भर्त्सना की । इतना ही नहीं, उसी लेख में तिलक ने बंगलाभाषी प्रांत का भी जिक्र किया। यह स्पष्ट है

तिलक ने प्रांत और राष्ट्र की संकल्पनाओं में स्पष्ट भेद नहीं किया। अपने राजनैतिक जीवन के मध्यकाल में जब स्वतंत्रता के लिए अनेक कष्ट सहने के फलस्वरूप तिलक राष्ट्रीय नेता बन गए थे, हम उन्हें राष्ट्रीयता की समस्या को समझने की कोशिश करते हुए पाते हैं।

लेखक मधु लिमये-Madhu Limaye
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 186
Pdf साइज़18.8 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

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