भारतीय लोक प्रशासन – Indian Public Administration Book Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
भारतीय प्रशासन का विकास भारत में अंग्रेजी राज के विकास की कहानी का एक छोटा-सा अध्याप है।
सदियों पुराने भारत के इतिहास में जिप्त प्रकार अनेक प्रकार के शासन और राजनीतिक व्यवस्थाए आई और गई उसी प्रकार उनके अपने प्रशासन और प्रशासनिक व्यवस्थाओं का उतार-पवाव भी चलता रहा
भारतीय इतिहास का हिन्दू पुग जिस प्रकार राजनीतिक दृष्टि से उन्नत और विकसित माना जाता है,
उसी प्रकार डिन्दू युग का प्रशाप्तन भी भारतीय इतिहास का एक गौरवपूर्ण पृष्ठ है मध्प युग में अलाउदीन विलनी, शेरशाह और अकबर जैसे कुछ प्रसिद्ध नाम हैं, जिन्होंने मुगलकालीन प्रशासन को स्थापित किया, सुदृढ बनाया और उसमें कितने ही नये प्रयोग भी किये।
जब भारत वर्ष में आये तो मुगल शासन की तरह युणल प्रशासन भी पतनोन्युष्ं होने के साथ-साथ अस्त-व्यस्त स्थिति में था।
गाल में दीवानी अधिकार प्राप्त करने के समय से लेकर सन् 1857 तक कम्पनी-शासन ने अपने आपको एक ऐसी स्थिति में पाया जिसमें मुगलकालीन प्रशासन उसके अपने साम्राज्यवादी उद्देश्यों के अनुरूप नहीं था
और अप्रेजी प्रशासन की विशेषताए भारत जैसे देश में उत्पन्न करना एक असम्भव कार्य पा।’
सन् 1858 से 1947 तक क्राउन की सरकार ने ससदीय सस्याओं को संवैधानिक सीमाओं में रखते हुए विकसित करने के अनेक प्रयत्न किये जिसके फलावरूप भारतीय प्रशासन को भी राजनीतिक और आर्थिक सुधारों की दृष्टि से एक नया प्रयोग-क्षेत्र माना जाने लगा।
अग्रेजी युग में प्रशासन का सबसे बड़ा विरोधाभास एव विडम्बना यह रही कि एक ओर तो वह साम्राज्यवादी हितों का यन्त्र बना, किन्तु दूसरी ओर अग्रेजों ने अपने उदारतावादी दर्शन के आधार पर भारत की राष्ट्रीयता को उसमें समाहित करने की कोशिश भी की।
साम्राज्यवाद की माग थी कि केन्द्रीकृत प्रशासन स्थायित्व का यन्त्र बने, किन्तु उदारतावाद और भारतीय राष्ट्रीयता का तकाजा या कि प्रशासन जनहित में कार्य करे और उसमें धीरे-धीरे भारतीयों को उचित स्थान दिये जाए।
लेखक | शालिनी वाधवा-Shalini Wadhava |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 412 |
Pdf साइज़ | 7.6 MB |
Category | इतिहास(History) |
भारतीय लोक प्रशासन – Bhartiya Lok Prashasan Book/Pustak Pdf Free Download