अवध विलास – Awadh Vilasa Book PDF Free Download
‘धनिक मनिक जो देते हैं ताहि तनक कर मानि ।
अर्थात धनिक व्यक्तियों द्वारा यदि मणियों का भी दान कर दिया जाय तो उसे भक्त-जन तनक करके मानते हैं। इन पंक्तियों में ‘धनिक’ ‘मनिक’ और ‘तनक’ में श्लेष से कवि दशरूपककार धन ञ्जय के व्याख्याता आचार्य ‘धनिक’ की ओर संकेत कर रहा है।
‘धनिक’ के अनुसार — “अपनी अल्पाधिक सत्ता के कारण जब सूक्ष्मातीत वस्तुएँ भी शब्दों से प्रतिपादित हो सकती हैं तो शान्त रस उस प्रतिपादन से कैसे वंचित रह सकता है।
शान्त रस के वन्ध में चार्य ‘धनिक’ ने जिस अल्पाधिक शब्द का प्रयोग किया है उसी के लिए लालदास ने मनिक और तनकशब्द का प्रयोग किया है । तनक अल्प के लिए और मनिक अधिक के लिए प्रयुक्त किया है ।
तनिक से आशय रंचमान या अल्पता से है । ‘मनिक’ से आशय मन (परिमाण वाची) से है जो ‘तनक’ की अपेक्षा अधिक होता है। इस प्रकार कवि ने आचार्य ‘धनिक’ का स्मरण करके काव्य शास्त्रीय परंपराओं के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की है ।
लालदास के काव्य में भावुकता तुलसी की भाँति अपनी गम्भीरता लेकर आती है किन्तु उनके मार्मिक स्थल तुलसी से भिन्न हैं। लालदास भावुक स्थलों में वचन वक्रता को नहीं छोड़ पाते ।
तुलसी जिन प्रसंगों में अधिक मार्मिक हैं लालदास उन प्रसंगों को छूते तक नहीं। लालदास की मार्मिकता में एक अनूठापन, कल्पना का नैपुण्य, आंचलिकता और भंगिमाओं की मौलिकता बहुत अधिक प्रभावोत्पादक है ।
उदाहरण के लिए एक स्थल देखें – पुरवधुओं ने राम को व्याह के अवसर पर देखा । लालदास में मार्मिकता है। तुलसी की पुरवधुएँ राम के रूप को देखकर मुग्ध होती हैं।
लालदास की पुरवधुएँ इस अवसर पर सौन्दर्य की प्रतिक्रिया को विभिन्न मानसिक भावदशाओं से व्यक्त करती हैं। उनकी कामनाएँ लोक संस्कृति के साथ गहरे अनुराग से अनुरंजित हैं।
तुलसी के बाद उसी प्रसंग पर उससे अधिक रसात्मक प्रसंग की अवतारणा कठिन काम था । सौंदर्य व्यापारों के बिम्ब विधान में लालदास सफलता की एक अलग ऊँचाई लिए हुए हैं।
लेखक | लालदास-Laldas |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 495 |
Pdf साइज़ | 53.6 MB |
Category | काव्य(Poetry) |
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