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हिंदू व्रत कथा – Hindu Vrat Katha PDF Free Download
सभी हिंदू व्रत कथा
सकट चौथ का वरत माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है।इस दिन गणेश जी और चाँद की पूजा की जाती है। कहीं कहीं इसे तिल चौथ भी कहा जाता है।
कथा-एक साहुकार दम्पत्ती थे। जिनके कोई संतान नहीं थी एक दिन साहकार की पत्नी अग्नि लेने पड़ोस के घर में गई।वहां उसने देखा की पड़ोसन एवं अन्य महिलाएं पूजन कर कथा सुन रही है।
यह देख उसने पूछा-आप सब किसकी पूजा एवं वरत कर-रही हो तथा इस वरत के करने से क्या फल मिलता है। पडोसन ने साहकार की पत्नी को बताया कि यह चतुर्थी की पूजा है।
इस दिन वस्त करने तथा कथा कहने सुनने से बिछड़े हुए मिल जाते हैं। सुख समृद्धि एवं सतांन की मनोकामना पूरी होती है ।यह सुनकर साहकारनी ने वहीं सकल्प किया कि यदि मेरे कोई सतान हो
जएगी तो मैं भी सवा सेर का तिलकुटा चढ़ाऊंगी।सकट चौथ माता ने उसकी मनोकामना पूरी की तथा उसे पुत्ररत्न हुआ।पर वह तिलकुटा चढ़ाना भूल गई। इसके बाद उसके छह बेटे और हुए
फिर भी उसे तिलकुटा चटाने की याद नहीं आई।सातों बेटे बड़े होने लगे उसने बड़े बेटे के विवाह के लिए फिर से मन्नत मांगते हुए कहा यदि मेरे बेटे का विवाह हो जाए
तो सता मण का तिलकुटा चढाऊर्गी विवाह की सभी तैयारियां होने लगी फिर भी साहुकारनी तिलकुटा चढाना भूल गई।जब उसका बेटा फेरों में बैठ गया तो चौथ माता विनायक ने सोचा कि साहकारनी हर बार तिलकुटा बोल तो देती है
लेकिन चढाती एक बार भी नहीं अब तो इसके बेटे का विवाह भी सम्पन्न होने जा रहा है। अगर हम इसे चमत्कार नहीं दिखाएगें तो हमें कौन मानेगा।इतना कह चौथ माता
एक साहूकार के सात पुत्र और एक पुत्री थी। कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन साहुकार की पत्नी, उसकी सभी बहुओ एवं कन्या ने संयुक्त रूप व्रत का अनुष्ठान किया। पूजन के पश्चात् साहूकार के सभी पुत्र भोजन करने बैठे।
भोजन करते समय साहूकार के पुत्रो ने अपनी बहन से भी भीजन करने का आग्रह किया।
बहन ने उत्तर दिया- तुम सभी लोग भोजन कर लो। मै चन्द्रोदय होने के पश्चात् अर्घ्य दे लेने के बाद ही भोजन करूंगी।
बहन की बात सुनकर भाइयो ने कुछ दूरी पर मैदान में अग्नि जला दी और उस अग्नि के प्रकाश को छलनी मे से दिखाकर कहा- वहना देखो, सामने चन्द्रमा निकल आया है।
अब तुम भी भोजन कर लो। भाई की बात सुनकर उस कन्या ने अपनी भाभियों से भी यही भात दहिरायी। उसकी भाभियाँ इस कपट-पूर्ण बात को जानती थी। उन्होंने उससे कहा- अभी चाँद नही निकला है।
तुम्हारे भाइयो ने अग्नि के प्रकाश-द्वारा तुम्हे चन्द्रमा के उदित होने का भास कराया है।
परन्तु अपनी भाभियों ने उस कन्या ने कोई ध्यान न देकर अर्घ्य दे डाला और उसके भाद भोजन भी कर लिया। उसके इस कृत्य से गणपति भगवान् अत्याधिक रुष्ट हो गये। जिसके फलस्वरूप उस कन्या का पति भयंकररोग से ग्रस्त हो गया।
चिकित्सा आदि कराने मे संचित धन नष्ट हो गया और वह अत्यन्त शोकाकुल होकर कष्ट भोगने लगी।
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 387 |
Pdf साइज़ | 162.6 MB |
Category | धार्मिक(Religious) |
हिंदू व्रत कथा | Hindu Vrat Katha Pdf Free Download