हिन्दी वर्णमाला चार्ट – Hindi Varnamala Chart Book/Pustak PDF Free Download

सम्पूर्ण हिन्दी वर्णमाला
वर्ण (Letter) क्या है?
मूल रूप से वर्ण वे चिन्ह होते हैं जो हमारे मुख से निकली ध्वनियों के लिखित रूप हैं या दुसरे शब्दों में, हमारे मुख से निकली ध्वनियों या शब्दों को लिखने में इस्तेमाल किये जाने वाले चिन्ह ही वर्ण या इंग्लिश में letter कहलाते हैं।
आशान भाषा में वर्ण की परिभाषा- वह छोटी से छोटी (सबसे छोटी) ध्वनि जिसके और टुकड़े नही किये जा सकते हैं उसे ही हम वर्ण कहते हैं। हिन्दी भाषा में वर्ण को हम अक्षर के नाम से भी जानते हैं।
वर्णों का वर्गीकरण: हिन्दी भाषा में सामान्यतः वर्णों का वर्गीकरण, उच्चारण स्थान अर्थात हमारे मुख में अलग अलग स्थान है जैसे कंठ है, होठ हैं, तालू और चिभ हैं आदि के आधार पे और वर्णों के उच्चारण की पद्धति, प्रकृति के आधार पे किया जाता है।
वर्णों के मुख्य रूप से दो भेद हैं, पहला स्वर जिसे इंग्लिश में vowel कहते हैं और दूसरा व्यंजन जिसे इंग्लिश मे consonant कहते हैं।
सभी भाषा को लिखने के लिए एक लिपि (Script) होता है उदाहरन के लिए इंग्लिश भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है वहीँ हिन्दी भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। अब क्योकि सभी भाषा का अलग लिपि होता है इसलिए इनके वर्णमाला और वर्णमाला में वर्णों और व्यंजन की संख्या भी अलग अलग होती है।
हिंदी भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि होती है। इसी ध्वनि को ही वर्ण कहा जाता है। वर्णों को व्यवस्थित करने के समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी में उच्चारण के आधार पर 53 वर्ण होते हैं। इनमें 12 स्वर और 41 व्यंजन होते हैं।
लेखन के आधार पर 57 वर्ण होते हैं इसमें 12 स्वर , 41 व्यंजन तथा 4 संयुक्त व्यंजन होते हैं। वर्णमाला के दो भाग होते हैं :- 1. स्वर 2. व्यंजन 1. स्वर क्या होता है :- जिन वर्णों को स्वतन्त्र रूप से बोला जा सके उसे स्वर कहते हैं।
भाषा की वह छोटी से छोटी इकाई जिसके टुकड़े नहीं किए जा सकते हो वर्ण कहलाते हैं वर्णों के मेल से शब्द बनते हैं शब्दों के मेल से वाक्य तथा वाक्यों के मेल से भाषा बनती है अतः वर्ण ही भाषा का मूल आधार है
हिंदी में वर्णों ( Hindi alphabet ) की संख्या 44 है मुंह से उच्चरित होने वाली ध्वनियों और लिखे जाने वाले इन वर्णो को दो भागों में बांटा जाता है
१- स्वर
२- व्यंजन
स्वर- जो बिना किसी स्वर (वर्ण)की सहायता के बोले जा सकते हैं वह स्वर कहलाते हैं यह 11 है
व्यंजन- जो स्वरों की सहायता से बोले जाते हैं वह व्यंजन कहलाते हैं मूल रूप से व्यंजन स्वर रहित होते हैं
टिप्पणी
अरबी-फारसी/अंग्रेजी से हिंदी में पाँच ध्वनियाँ आई हैं। क़, ख, ग, ज़, फ़। इनमें से दो ध्वनियाँ क़ग़ उच्चारण के स्तर पर हिंदी में अनुकूलित हो गई हैं, अत: इनका तब तक लेखन हिंदी में अनिवार्य नहीं है जब तक उर्दू के उच्चारण का विशेष रूप से उल्लेख करना आवश्यक न हो। शेष तीनों ध्वनियों में से न हिंदी में खपने की प्रक्रिया में है। ज़, फ़ अपना अस्तित्व खोने या बनाएं रखने के लिए संघर्षरत है।
हिन्दी वर्णमाला देवनागरी लिपि में लिखी गई है। देवनागरी लिपि में संस्कृत, मराठी, कोंकणी, नेपाली, मैथिलि भाषाएँ लिखी जाती हैं।
हिन्दी वर्णमाला में ऋ, ऌ, ऌ, ळ का प्रयोग नहीं किया जाता हैं।
अयोगवाह – अयोगवाह अनुस्वार और विसर्ग को कहते हैं। क्योंकि यह ना तो स्वर के अंतर्गत आते हैं और ना ही व्यंजन के अन्तर्गत आते हैं।
किसी भी एक व्यक्ति को हिंदी वर्णमाला के लेखक के रूप में नहीं माना जा सकता क्योंकि यह ब्राह्मी लिपि से विकसित हुआ जो बाद में देवनागरी में बदल गया।
तीन अक्षरों को मिलाकर :
कागज़, जमाव, जहाज, टालना, डराना, दबना, ढालना, दबाव,
तपना, दक्षता, नाचना, पढ़ना, जगना, छलावा, छपना,
टाइम, थकना, ठगना, थमना, भारत, डटना, थामना,
भावना, महान, कारण, लगाम, लड़का, गणना, टाइप,
तालाब, शासन, हमला, हमारा ।
चार अक्षरों को मिलाकर :
आदतन, कारगर, कामगार, छरहरा, दरवाजा, जकड़ना,
तापमान, समाचार, गायब, सदाचार, कारागार, दरबार, सराहना।
हिन्दी वर्णमाला: स्वर (Vowel) और व्यंजन (Consonant) की पूरी जानकारी
वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं और वर्णों के मुख्य रूप से दो भेद होते हैं स्वर तथा वयंजन। लेकिन आखिर ये स्वर और व्यंजन होते क्या हैं, इनकी परिभाषा क्या है? आइये, जानते हैं-
1. स्वर (Vowel)
स्वर वे वर्ण होते हैं जिनके उच्चारण में किसी दुसरे वर्ण की सहायता नही ली जाती है बल्कि ये व्यंजन वर्णों के सहायक होते हैं। दिसरे शब्दों में, जिन वर्णों या अक्षरों के उच्चारण में वायु हमारे मुख से बिना की रुकावट या अवरोध के बाहर निकलती है उन्हें स्वर कहते हैं।
उमेश चन्द्र शुक्ल के अनुसार स्वर उन वर्णों को कहते हैं जिन वर्णों का उच्चारण बिना की अवरोध या विध्न बाधा के होता है। जैसे- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः।
ये सभी वर्ण स्वर कहलाते हैं और अगर आप इन वर्णों का उच्चारण करके भी गौर करेंगे तो पाएंगे की वर्णों यानि स्वर के उच्चारण में वायु या श्वास हमारे मुख से बिना किसी रोक के बाहर निकलती है।
2. व्यंजन (Consonant)
ऐसे वर्ण जो बिना किसी स्वरों की सहायता के बिना उच्चारण नहीं होते हैं और जिनके उच्चारण में वायु या स्वास हमारे मुख से अबाध गति से बाहर नहीं निकलती है बल्कि घर्षण और रुकावट के साथ निकलती है उन्हें व्यंजन कहते हैं।
अगर आप व्यंजनों का उच्चारण करने पे ध्यान देंगे तो पाएंगे की इनका उच्चारण हमेशा स्वर की सहायता से ही किया जाता है अर्थात् इनके उच्चारण में स्वर वर्ण भी समिलित होते हैं। क से लेकर ज्ञ तक के सभी वर्ण व्यंजन कहलाते हैं।
उदाहरन के लिए अगर हम “क” लिखते हैं तो भले ही ये देखने में स्वतंत्र वर्ण या अक्षंर लग रहा है पर इसके उच्चारण में “अ” वर्ण छुपा है यानि क। क+अ। इसी प्रकार से, ख। ख+अ, ग। ग+अ आदि।
व्यंजन को वर्गो में लिखा जाता है, ऊपर दी गयी वर्णमाला चार्ट (Hindi Alphabets Chart) में भी आप देखंगे तो पाएंगे की इन्हे अलग अलग वर्ग में लिखा गया है हलाकि चार्ट में वर्गो का नाम तो नहीं लिखा गया है इसलिए इसके बारे में यहाँ देख लीजिये-
व्यंजन वर्ग
- क वर्ग – क , ख , ग , घ , डं
- च वर्ग – च , छ , ज , झ , ञ
- ट वर्ग – ट , ठ , ड , ढ , ण , ड़ , ढ़
- त वर्ग – त , थ , द , ध , न
- प वर्ग – प , फ , ब , भ , म
- अंतः स्थल वर्ग – य , र , ल , व
- उष्म वर्ग – श , ष , स , ह
- संयुक्त वर्ग – क्ष , त्र , ज्ञ , श्र ,
- गृहीत वर्ग – ज़ , फ़ ,ऑ
स्वर और व्यंजन में मुख्य अंतर (Diffeence Between Vowel & Consonant In Hindi)
ये बड़ा ही अच्छा सवाल है की आखिर स्वर तथा व्यंजन में मुख्य अंतर क्या होता है? तो आइये जानते हैं- स्वर्ण तथा व्यंजन की परिभाषा के अनुसार हम ये कह सकते हैं की स्वर के उच्चारण में वायू बिना किसी अवरोध के हमारे मुख से बाहर निकलती है और साथ ही इनका उच्चारण बिना किसी व्यंजन के मदद से किया जाता है।
जबकि वहीँ दूसरी और व्यंजन वे वर्ण होते हैं जिनका उच्चारण में वायु हमारे मुख से रुकावट और टकराव के साथ बाहर निकलिती है तथा इनका उच्चारण बिना स्वर के उपयोग के नही किया जा सकता है।
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 25 |
PDF साइज़ | 1.8 MB |
Category | Subject |
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हिंदी वर्णमाला में 44 वर्ण होते हैं.
हिन्दी में सभी वर्णों या अक्षरों के समूह को वर्णमाला कहते हैं। वर्ण का मतलब है सबसे छोटी ध्वनी और माला का मतलब है समूह। इस प्रकार वर्णमाला का मतलब हुवा वर्णों का समूह।
हिंदी वर्णमाला में स्वरों की संख्या 11 होती है.
हिंदी में कुल 39 व्यंजन होते हैं, जिसमें 33 व्यंजन मानक हिंदी व्यंजन होते हैं, चार संयुक्त व्यंजन (क्ष, त्र, ज्ञ, श्र) होते हैं और दो उत्क्षिप्त व्यंजन होते हैं.
क. से तक ज्ञ36 अक्षर होते हैं.
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