प्रभु गिरिधारी आरती | Giridhari Aarti PDF In Hindi

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प्रभु गिरिधारी आरती – Giridhari Aarti PDF Free Dwonload

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प्रभु गिरिधारी आरती

भगवान गिरिधारी भगवान कृष्ण का दूसरा नाम है, विशेष रूप से उस समय का जिक्र करते हुए जब उन्होंने वृंदावन के निवासियों को देवताओं के राजा इंद्र के क्रोध से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। यह कृत्य भगवान कृष्ण की दिव्य शक्ति और अपने भक्तों के प्रति करुणा को उजागर करता है। यह ब्रह्मांड के रक्षक और पालनकर्ता के रूप में उनकी भूमिका के साथ-साथ वृन्दावन के लोगों के साथ उनके गहरे संबंध को दर्शाता है।

जय जय गिरिधारी प्रभु, जय जय गिरिधारी।

दानव-दल-बलहारी, गो-द्विज-हितकारी ॥

जय जय गिरिधारी प्रभु,

जय जय गिरिधारी।

जय गोविन्द दयानिधि, गोवर्धन-धारी।

वन्शीधर बनवारी ब्रज-जन-प्रियकारी॥

जय जय गिरिधारी प्रभु,

जय जय गिरिधारी।

गणिका-गीध-अजामिल गजपति-भयहारी।

आरत-आरति-हारी, जग-मन्गल-कारी ॥

जय जय गिरिधारी प्रभु,

जय जय गिरिधारी।

गोपालक, गोपेश्वर, द्रौपदि-दुखदारी।

शबर-सुता-सुखकारी, गौतम-तिय तारी ॥

जय जय गिरिधारी प्रभु,

जय जय गिरिधारी।

जन-प्रह्लाद-प्रमोदक, नरहरि-तनु-धारी।

जन-मन-रञ्जनकारी, दिति-सुत-सन्हारी ॥

जय जय गिरिधारी प्रभु,

जय जय गिरिधारी।

टिट्टिभ-सुत-सन्रक्षक रक्षक मन्झारी।

पाण्डु-सुवन-शुभकारी कौरव-मद-हारी ॥

जय जय गिरिधारी प्रभु,

जय जय गिरिधारी।

मन्मथ मन्मथ मोहन, मुरली-रव-कारी।

वृन्दाविपिन-विहारी यमुना-तट-चारी॥

जय जय गिरिधारी प्रभु,

जय जय गिरिधारी।

अघ-बक-बकी उधारक तृणावर्त-तारी।

बिधि-सुरपति-मदहारी, कन्स-मुक्तिकारी ॥

जय जय गिरिधारी प्रभु,

जय जय गिरिधारी।

शेष, महेश, सरस्वति गुन गावत हारी।

कल कीरति-बिस्तारी भक्त-भीति-हारी ॥

जय जय गिरिधारी प्रभु,

जय जय गिरिधारी।

नारायण शरणागत, अति अघ, अघहारी।

पद-रज पावनकारी चाहत चितहारी ॥

जय जय गिरिधारी प्रभु,

जय जय गिरिधारी

Language Hindi
No. of Pages3
PDF Size 0.9 MB
CategoryReligious
Source/Creditspanotbook.com

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