बिहार का इतिहास | History of Bihar PDF In Hindi

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बिहार राज्य का इतिहास और जानकारी PDF Free Download

बिहार का प्राचीन इतिहास परीक्षा के लिए

बिहार के ऐतिहासिक परिचय को निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत दिये गए तथ्यों के आधार पर प्राप्त किया जा सकता है

पुरापाषाण काल(Paleolithic period)

इस काल के प्रमुख पुरातात्विक अवशेष मुख्यतः दक्षिणी बिहार से प्राप्त हुए हैं। इसमें पत्थर की कुल्हाड़ी,चाकू,खुरचनी तथा उत्कीर्णक(खूप) आदि है।

ये अवशेष मुख्यतः गया की जेठियनवपेमार घाटी,मुंगेर के भीम बांधवपैसरा,भागलपुर के राजपोखरवमालीजोर, पश्चिमी चंपारण के बाल्मीकि नगर तथा नालंदा क्षेत्र से प्राप्त हुए हैं।

इसके अतिरिक्त गया जिले के शेरघाटी में प्रागैतिहासिक मानव के चट्टानी आवास के दो साक्ष्य भी मिले हैं।

मध्यपाषाण काल(Mesolithic period)

इस काल के साक्ष्यों के अंतर्गत मुंगेर जिले से छोटे आकार के पत्थर-निर्मित तेज हथियार तथा नोक वाले औजार मिले हैं।

नवपाषाण काल(Neolithic period)

इस काल के साक्ष्यों के अंतर्गत पत्थर के सूक्ष्म औजारों के साथ-साथ हड्डी निर्मित उपकरण प्रमुख हैं,जो चिराद (सारण),मनेर(पटना),चेचरवकुतुबपुर(वैशाली),ताराडीह(गया)तथा सेनुआर(रोहतास)से मिले हैं।इनमें चिरांद हड्डी के उपकरणों के लिये पूरे देश में विख्यात है।

ताम्रपाषाण काल(Chalcolithic period)

इस काल के साक्ष्य चिराद(सारण),सोनपुर(बेलागंज प्रखंड,गया).मनेर(पटना),चेचर(वैशाली),राजगीर सेनुआर (रोहतास)तथा ओरियम(भागलपुर)से मिले हैं।इनमें काले एवं लाल मृद्भांड प्रमुख हैं,जो सामान्यत:1000 ई.पू. से 900 ई.पू. तक के माने जाते हैं।

लौह काल(Iron period)

•इस काल को उत्तर वैदिक काल भी कहा जाता है।इस दौरान मानवीय बस्तियों के उत्तर विहार क्षेत्र में स्थापित होने के संकेत मिलते हैं।इस काल के अंतर्गत लोहे का उपयोग मुख्यतः औजार बनाने के लिये होता था।

•इस काल के दूसरे चरण को सामान्यतः उत्तरी काले चमकीले मुद्धांडों से जाना जाता है,जिसके साक्ष्य बक्सरवचिराद से मिले हैं।

•इस काल में कृषि कार्यों में लोहे का प्रयोग शुरू होने लगा था,साथ ही नगरीकरण की शुरुआत भी हो गई थी।

वैदिक युग(Vedic period)

•इस काल के अंतर्गत सर्वप्रथम शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ में वर्तमान बिहार के भौगोलिक क्षेत्र का वर्णन मिलता है।

इसमें विदेह (वर्तमान तिरहुत क्षेत्र)के’जनक’को सम्राट(राजा)बताया गया है।इसके अतिरिक्त इसमें विदेह माधव तथा उनके परोहित गौतम राहगण एवं सदानीरा के रूप में वर्तमान गंडक नदी की भी चर्चा है।

परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण तथ्य

• तृतीय बौद्ध सभा पाटलिपुत्र में बुलाई गई थी।

• विश्व का पहला गणतंत्र वैशाली में लिच्छवी के द्वारा स्थापित किया गया था।

• बोधगया में लगा हुआ बोधिवृक्ष अपनी पीढ़ी का चौथा वृक्ष है।

• उद्यन को पाटलिपुत्र का संस्थापक माना जाता है।

• नंद वंश के पश्चात् मगध पर मौर्य वंश का शासन स्थापित हुआ।

• घनानंद सिकंदर महान का समकालीन था।

• पाटलिपुत्र स्थित चंद्रगुप्त का राजमहल लकड़ी का बना हुआ था।

• बराबर की गुफाओं का उपयोग आजीवक संप्रदाय के लोगों ने अपने आश्रयगृह के रूप में किया था।

• भाब्रु अभिलेख में अशोक को मगध का सम्राट बताया गया है।

• अजातशत्रु के समय में प्रथम बौद्ध संगीति राजगृह में आयोजित हुई थी।

सल्तनतकाल में बिहार (Bihar in sultanate period)

• बिहार को जीतने वाला प्रथम मुस्लिम विजेता बख्तियार खिलजी को माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उसने 12वीं सदी के अंत तथा 13वीं सदी के प्रारंभ के मध्य बिहार पर आक्रमण किया था।

• इतिहासकारों के अनुसार बख्तियार खिलजी ने ओदंतपुरी तथा नालंदा विश्वविद्यालय का विनाश किया। बख्तियार खिलजी के समय बिहार शरीफ तुर्क शासन का प्रमुख केंद्र था। ||

• बख्तियारपुर शहर का संस्थापक बख्तियार खिलजी को ही माना जाता है। इसने स्वयं द्वारा विजित तत्कालीन प्रदेशों की राजधानी लखनौती (लक्ष्मणवटी) को बनाया था।

• बख्तियार खिलजी ने मिथिला क्षेत्र के कर्नाट वंशीय शासक नरसिंहदेव तथा जयनगर के गुप्त शासकों को भी अपनी अधीनता स्वीकार कराई।

• बख्तियार खिलजी की हत्या उसके ही अधिकारी अलीमर्दान खिलजी ने कर दी।

• 1225 ई. में इल्तुतमिश ने बिहारशरीफ तथा बाढ़ पर अधिकार किया। इस दौरान उसने राजमहल की पहाड़ियों में हिसामुद्दीन इवाज को हराया।

• ‘मलिक अलाउद्दीन जानी’ को इल्तुतमिश ने बिहार में अपना प्रथम सुबेदार नियुक्त किया था।

• 1229-30 ई. में बिहार तथा बंगाल को पुनः विभाजित कर दिया। उल्लेखनीय है कि मलिक जानी के बाद इल्तुतमिश के पुत्र नसीरूदीन महमूद ने अवध बिहार तथा लखनौती (बंगाल) को एक कर दिया था।

• सैफुद्दीन एबक एवं तुगान खाँ भी इल्तुतमिश के द्वारा ही बिहार के सूबेदार बने।

लेखक
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 31
PDF साइज़3.7 MB
CategoryHistory
Source/Creditsdrishtias.com

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