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वाल्मीकि रामायण कथा सभी कांड – Valmiki Ramayan All Parts Book/Pustak PDF Free Download
वाल्मीकि ऋषि लिखित रामायण
गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा वाल्मीकि ऋषि लिखित रामायण के आठ खंडो को दो किताब में श्लोक और उसके सरल हिंदी अनुवाद के साथ प्रकाशित किया गया है, प्रथम किताब में 4 कांड दिए है
- बालकाण्ड
- अयोध्याकाण्ड
- अरण्यकाण्ड
- किष्किन्धाकाण्ड
दूसरी किताब में बाकि के 4 खंड दिए है
- सुन्दरकाण्ड
- लंकाकाण्ड
- उतरकाण्ड
- लवकुशकाण्ड
श्रीमद्वाल्मीकीय रामायणकी पाठविधि, कलियुगकी स्थिति, कलिकालके मनुष्यों के सुम उद्धारका उपाय, रामायणपाठ, उसकी महिमा, उसके श्रवणके लिये उत्तम काल आदिका वर्णन
नारद-सनत्कुमार संवाद, सुदास या सोमदत्त नामक ब्राह्मणको राक्षसत्वकी प्राप्ति तथा रामायण कथा श्रवणद्वारा उससे उद्धार
माघमासमें रामायण-श्रवणका फल- राजा सुमति और सत्यवतीके पूर्वजन्मका इतिहास, चैत्रमासमें रामायणके पठन और श्रवणका माहाव्य, कलिक नामक व्याध और उत्तङ्क मुनिकी कथा
पाठविधि
वाल्मीकीय रामायणकी अनेक प्रकारकी पारायण विधियाँ है।
श्रीरामसेवाग्रन्थ, अनुष्ठानप्रकाश, स्वान्दोक रामायण-माहात्म्य, बृहद्धर्मपुराण तथा शाहूर, रामानुज, मध्व, रामानन्द आदि विभिन्न सम्प्रदायोकी अलग-अलग विधियाँ है, यद्यपि उनका अन्तर साधारण है।
इसी प्रकार इसके सकाम और निष्काम अनुष्ठानोंके भी भेद हैं। सबपर विस्तृत विचार यहाँ सम्भव नहीं। वाल्मीकीयके परम प्रसिद्ध नवाह-पारायणकी ही विधि यहाँ लिखी जा रही है।
चैत्र, माघ तथा कार्तिक शुक्ल पञ्चमीसे त्रयोदशीतक इसके नवाह-पारायणकी विधि है। किसी पुण्यक्षेत्र, पवित्र तीर्थ, मन्दिरमें या अपने घरपर ही भगवान् विष्णु तथा तुलसीके सैनिधान वाल्मीकिरामायणका पाठ करना चाहिये।
एतदर्थ यथासम्भव कथा-स्थानकी भूमिको संशोधन, मार्जन, लेपनादि संस्कारोसे संस्कृतकर कदली स्तम्भ तथा ध्वजा-पताका-वितानादिसे मांडत कर देना चाहिये।
मण्डपका मान १६ हाथ लंबा-चौड़ा हो और उसके बीचमें सर्वतोभद्रसे युक्त एक वेदी हो। अन्य वेदियाँ, कुण्ड तथा स्थण्डिल आदि भी हो।
मण्डपके दक्षिण-पश्चिम भागमें वक्ता (व्यास) एवं श्रोताका आसन हो। व्यासासनके आगे पुस्तकका आसन होना चाहिये।
वाल्मीकि रामायण की महिमा
उससे समस्त दुःस्वशांका नाश हो जाता है। वह धन्यवादके योग्य तथा भोग और मोक्षरूप फल प्रदान = करनेवाला है। उसमें भगवान् श्रीरामचन्द्रजीकी लीला कथाका वर्णन है।
वह काव्य अपने पाठक और श्रोता अंकि लिये समस्त कल्याणमयी सिद्धियों को देनेवाला है ।
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष—इन चारों पुरुषार्थीका साधक है, महान् फल देनेवाला है। यह अपूर्व काव्य पुण्यमय फल प्रदान करनेकी शक्ति रखता है। आपलोग ।
एकाग्रचित होकर इसे श्रवण करें महान् पातकों अथवा सम्पूर्ण उपपातकोसे युक्त मनुष्य भी उस ऋषिप्रणीत दिव्य काव्यका श्रवण करनेसे शुद्धि (अथवा सिद्धि) प्राप्त कर लेता है।
सम्पूर्ण जगत्के हित-साधनमें लगे रहनेवाले जो मनुष्य सदा रामायण के अनुसार बर्ताव करते हैं, वे ही सम्पूर्ण शास्त्रों के मर्मको । समझनेवाले और कृतार्थ हैं विप्रवरी।
पढ़े: Ramayana In English, Ramayan In Marathi
लेखक | वाल्मीकि-Valmiki |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 833 + 850 |
Pdf साइज़ | 65 + 100 MB |
Category | Religious |
प्रथम किताब
दूसरी किताब
सम्पूर्ण वाल्मीकि रामायण हिंदी अनुवाद सहित – Valmiki Ramayana With Hindi Meaning Book/Pustak Pdf Free Download
Balkand in hindi sarga 5