सूक्ति गंगाधर | Sukti Gangadhar Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
कुछ प्रसिद्ध संस्कृत सुभाविन प्रस्थ इस प्रकार ह सुमाषितरत्नकोय सबुक्तिकवंवतर सुत्तिमुक्तावली, सुक्तिरनाकर, साधरपति, सुभाषितावनी, सुभाषितसुधारल्स भाण्डागार,
संग्रहकर्ता सहदयों ने इनमें अपनी स्त्री के अनुकूल सूक्तियों का संग्रह किया है। संस्कृत साहित्य के अपार कार्यात्मक सायर से निकाले गये में सूक्तिमीति सहदयों के तय एवं
वाणी को सदा जनकृत करते रहे है। मैंने अपने बाल्यकाल से ही पूज्य गुरुजनों के श्रीमुझे से तमा बाद हे रयं पुरामकाव्यादि प्रत्यों को पढ़कन कुछ ऐसे ही सुभाषित,
जो मुझे रुचिरूर सरै संपृही त कर रस्ते थे। उन्हीं में से बुध का स्वयं हिन्दी में बोहा में भावानुवाद कर इस भावना से कि हिन्दी प्रेमियों को भी संस्कृत के मुभाषितों में परिचय हो
इस संघ को में संस्कृत-हिन्दी-प्रेमी समाज के सम्मुख प्रस्तुत करता है। इसने पाँच सय या अध्याय है। इस संग्रहम्न्य का नान मैंने ‘सूक्ति-गङ्गाधर’ रमला। गन्नाधर शिव कहे जाते है।
उन्हें पञ्चानत भी कहा जाता है । वतः गने इन सकों या अध्यायों का नाम आनन” रक्ता। इन में –विशेषोनि, नामाम्यी ति , अग्योषित, रतोक तथा देवस्तुति सम्बन्धी उक्तियाँ संग्रहीत ।
नीतिसम्बन्धी उक्तियों में कुछ विधि-निषेध-परक जो भी है, जो सामाजिक जीवन में परिवार लिये गये हैं। मने भावामुबाद शमी , बो प्रयाग जनपद तथा उसके आस-पास के अभाव में बोलो बाती है,
किया है। कनी-कभी नाक की बातें दोहे में कुछ घट-बढ़ भी गई है । दिन पुण्यश्लोक पाविरों की नियों को नैने एसमें लिया है उन सबके विश्व की सभी भारातओरों में बरतिभा एवं
यलौकिग-विदडिक-सर्जना-सक्ति- सम्बन कवियरों पी सरस तथा अमरकामा परयात्मक कियो का भवन्त सम्मान पूर्ण स्थान रक्षा में समाधासाची साक्षी के कण्डाद्वार रहती है।
भारतीय आपों की संस्कृत भाषा विषय की परोीनलम मापने मे सानी जाती है, और संस्कृत में निमित व भूतस मी शचीनतम एवं सर्वप्रम ब कुति माने दा्े है । बेब बियो का प्रतिदान दुआ है,
लेखक | चंडिका शुक्ला-Chandika Shukla |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 235 |
Pdf साइज़ | 17.1 MB |
Category | इतिहास(History) |
सूक्ति गंगाधर | Sukti Gangadhar Book/Pustak Pdf Free Download