श्री गौरांग महाप्रभु | Sri Gauranga Mahaprabhu Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
इस से १५ मोल उत्तर ” अग्रद्वीप” (अर्थात् आगे का = पहला = पुराना) टापू था । कोई कहता है कि एक योगी रात को नवदीप जला कर यहां योग साधन करता था। इसीसे यह स्थान इस नाम से प्रसिद्ध हुआ।
एवं किसीका कथन है कि नवद्वीपों के समूह में से पक होने के कारण इसका ऐसा नाम पढ़ा । नरहरि दास ने ” नवद्वीप परिममा-पद्धति “मैं इसका विशेष वर्णन किया है ।
इसी नगर के नाम से समूचा जिला नदिया कहलाने लगा। इस जिले के उत्तर में पद्मा प्रवाहित है और उसके उत्तर तट पर पवना तथा राजशाहो के जिले अत्रस्थित है।
उत्तर-पश्चिम दिशा में जलंगी या खरिया नदी इसे मुर्शिदाबाद से विलग करती है। पश्चिम के शेषांश में यह यद्ध मान तथा हुगली जिले से सोमात्रद्ध है एवं इसके और उन जिलों के मध्य भागीरथी (या हुगली) कलरव करती कल्लोल शिया करती है ।
इसके दक्षिण चौवीस परगना, दक्षिण-पूर्व जेसार तथा, शुद्ध पूर्ण फरीदपुर के जिले व्त भान है। पूर्व काल में इस जिला को पश्चिमीय सीमा पंर श्र्थात् आंधु निक भागीरथी के पर्व तट पर दो भूर्खड थे ।
इस समय इंस नदी की प्रवांहगंति मैं परिवर्तन हो जाने से वे इसके पश्चिम किनारे हो गये हैं। इन दोनों में से दक्खिनवाले ११ वर्ग मील के टुकड़े में नदिया नगर बसा है।
अपनी वर्तमान स्थिति के कारण यह वद्ध मान जिले में चला गया होता और ऐसा करने के लिए सर रिचार्ड टेम्पुल के शासनकाल में सरकारी श्राज्ञा भी हो चुकी थी।
परन्तु जिस नगर के नाम से समूचा जिला विख्यात है उसका अन्य जिले में चला जाना उचित न विचार कर बह आज्ञा कार्य रूप में परिवर्तित न होने पायी । किन्तु दूसरा टुकड़ा “पूर्वोक्त” अनद्वीप अप्रैल १८८८ ई० में बुद्ध मान में सम्मिलित कर दिया गया ।
लेखक | शिवनंदन सहाय -Shivnandan Sahay |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 532 |
Pdf साइज़ | 16.4 MB |
Category | आत्मकथा(Biography) |
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