संस्कृति के चार अध्याय | Sanskriti Ke Char Adhyay PDF

संस्कृति के चार अध्याय – Sanskruti Ke Char Adhyay Book Pdf Free Download

भारतीय जनता की रचना

मनुष्य पहले-पहल कहाँ उत्पन्न हुआ, यह प्रश्न मनोरंजक तो है, लेकिन, इसका ठीक-ठीक उत्तर अब तक नहीं दिया जा सका है।

वाइबिल को अपना धर्मग्रंथ मानने वाले लोगों का ख्याल है कि आदमी पहले-पहल सीरिया में जनमा था ।

इसी तरह, पश्चिम एशिया, मध्य एशिया, बर्मा, अफ्रीका और उत्तरी ध्रुव के पास के प्रांत, इन सारे भूभागों के बारे में, समय-समय पर, अटकल लगायी गयी है कि, हो-न-हो, आदमी इन्हीं में से किसी एक देश में सर्व प्रथम उत्पन्न हुआ होगा।

पीकिंग में जो नर कंकाल मिला है, वह तीस हजार वर्ष पुराना है, अतएव, यह अनुमान भी चलता है कि आदमी पहले पहल चीन में जनमा होगा।

एक अन्दाजा यह भी है कि आदमी चूंकि, प्रधानतः, लोमहीन प्राणी है, इसलिए, उसकी उत्पत्ति किसी गर्म देश में हुई होगी।

के लोग अफ्रीका, भारतवर्ष अथवा उससे भी दक्षिण-पूर्व के भागों को आदि मनुष्य इस विचार का जन्म स्थान मानते हैं। एक अनुमान यह है कि आदमी दक्षिण भारत में जनमा होगा। एक दूसरा अनुमान यह है कि भारत-समुद्र में पहले जो बड़ा स्थल – भाग था, आदमी वहीं जनमा था।

अफ्रीका के पक्ष में एक दलील यह दी जाती है कि वहाँ चिपंजी और गोरिल्ला बन्दर, बहुतायत से, पाये जाते हैं। इसके सिवा, अफ्रीका में बहुत-सी हड्डियाँ भी पायी गयी हैं, जिनके बारे में यह अनुमान है कि वे आदि मानवों की हड्डियाँ होंगी ।

भारतीय इतिहास-कांग्रेस के ग्वालियर वाले अधिवेशन में (१९५२ ई०) सभापति के पद से भाषण देते हुए डाक्टर राधाकुमुद मुखर्जी ने यह कहा था कि आदि मनुष्य पंजाब और शिवालिक की ऊँची भूमि पर विकसित हुआ होगा, इस बात के प्रमाण मिलते हैं।

मुखर्जी महोदय का मत यह दीखता है कि मनुष्य भारत में ही उत्पन्न हुआ था और इसी देश में उसकी सभ्यता भी विकसित हुई।

पंजाब में हिमालय के पास मनुष्य का आदि जन्म, फिर सिन्धु की तराई में कृषि-सभ्यता का विकास और सिन्धु के पठार में भारत की प्राचीनतम सभ्यता का अवशेष पाया जाना, ये सारी बातें आपस में एक-दूसरे को पुष्ट करनेवाली हैं और, अजब नहीं, कि अध्ययन और खोज करने पर मुखर्जी महोदय का अनुमान सत्य ही प्रमाणित हो ।

किन्तु, सब से युक्तिसंगत अनुमान यह है कि आदमी यदि पहले-पहल भारत में उत्पन्न तो उत्तर नहीं दक्षिण भारत में जनमा होगा ।

भारत की सबसे पुरानी धरती वह नहीं है जो चिंध्याचल के उत्तर में पड़ती है, प्रत्युत, वह जो विध्य से फैलती हुई दक्षिण को चली गयी है । आज से लगभग तीन लाख वर्ष पूर्व दक्षिण भारत में मनुष्य रहा होगा, इस अनुमान को पंडित साघार मानते हैं।

सन् १९३५ ई० में बड़ोदा राज्य के वादनगर स्थान में लघु मानव का एक तीस इंच लंबा कंकाल मिला था, जिसे वैज्ञानिक आदि नीग्रो का कंकाल समझते हैं ।

इंग्लैंड के एक वैज्ञानिक, मिस्टर डारविन ने जब से यह सिद्ध कर दिखाया कि आदमी बन्दर से बढ़कर आदमी हुआ है, तब से, विकासवाद के सिद्धान्त पर यह मानने की प्रथा चल पड़ी है कि मनुष्य के पूर्वज बन्दर की ही योनि से निकले थे।

लेकिन, सभी पंडित अभी यह भी मानने को तैयार नहीं हैं कि आदमी, निश्चित रूप से, बन्दर से ही विकसित हुआ है। फिर भी, जो लोग विकासवाद के सिद्धान्त को पूर्ण रूप से मान चुके हैं, उनका ख्याल है कि एप, गिब्बन, ओरंगउत्तान और चिंपंजी, बन्दरों की इन्हीं चार जातियों का विकास मनुष्य के रूप में हुआ है।

और जिन पंडितों का ऐसा विश्वास है, वे घूम-फिर कर अफ्रीका को ही मनुष्य के जन्म का आदि स्थान मानना चाहते हैं। लेकिन, कुछ दूसरे पंडितों का विचार है कि आदमी जिस जीव से बढ़कर आदमी हुआ है, वह वन्दर तो नहीं

लेखक रामधारी सिंह दिनकर-Ramdhari Singh Dinkar
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 816
Pdf साइज़86.5 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

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