रेत समाधि | Ret Samadhi PDF In Hindi

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रेत समाधि – Ret Samadhi PDF Free Download

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रेत समाधि – Ret Samadhi

विश्व सीमा रेखाओं में बंटा हुआ है। लेकिन इन रेखाओं से पार पंछी, नदिया. हवा और शब्दों का विस्तार अंतहीन है। शब्द भाषा की सीमा से परे अपने पाठक के दिल में अपनी जगह बना ही लेते हैं। उपन्यासों के पात्र अपनी मिट्टी अपने देश की खुशबू दूसरी भाषा में भी वैसे ही फैलाते हैं जैसे वे उस देश के निवासी हो। ऐसे ही गीतांजलि श्री के उपन्यास रेत समाधि की असाधारण व्यक्तित्व रखने वाली बूढी अम्मा की कहानी अब फ्रांस के साहित्य का हिस्सा बन एक नई पहचान में पाठकों के सामने उपलब्ध है।

हिन्दी की महत्वपूर्ण कथाकार गीतांजलि श्री के उपन्यास रेत समाधि का फ्रेंच भाषा में अनुवाद प्रसिद्ध अनुवादक आनी मॉन्तो ने किया है। रेत समाधि ओ देला दे ला क्रॉन्तिवेर नाम से फ्रेंच भाषा में यह उपन्यास एदिसीयों दफ़ाम प्रकाशन द्वारा प्रकाशित है। भारतीय साहित्य की चर्चित एवं महत्वपूर्ण रचनाओं को फ्रेंच पाठकों के लिए उनकी भाषा में अनुवाद कर उसे उपलब्ध करवाने में आनी मॉन्तो का योगदान सराहनीय है। वे पेरिस में प्रोफेसर एमेरिटस के बतौर हिन्दी साहित्य एवं भाषा से जुड़ी हुई है।

कोविड 19 ने पूरे विश्व को जैसे एक झटके से रोक दिया है। लेकिन, उम्मीद और हौसले की बुनियाद पर खड़ी मनुष्यता आगे बढ़ने के रास्ते ढूंढ निकाल लाती है। इस रास्ते को आसान बनाने में किताबें हमकदम बनकर हमारे साथ हैं। फ्रेंच अनुवाद के लोकार्पण का कार्यक्रम इस साल मार्च में पेरिस पुस्तक मेला में होना निर्धारित हुआ था लेकिन पुस्तक मेले का आयजन कोचिड 19 बीमारी की वजह से स्थगित कर दिया गया। यह किताब प्रकाशित होनी थी.

सो हुई। एक अच्छे अनुवाद के संबंध में साहित्यकार यू. आर. अनंतमूर्ति ने कहा था कि जब भाषा अपने निजीपन को खोकर भी लक्ष्य भाषा और संस्कृति में अपने स्वभाव तथा गुणों को कायम रखती है तभी अनुवाद अच्छा कहलाएगा।”
आनी मॉन्तो के लिए रेत समाधि का अनुवाद करना बहुत आसान नहीं था। अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा, ‘हालांकि मैं इन पिछले 20-30 सालों में साहित्यिक अनुवाद के काम में लगी रही.

फिर भी रेत समाधि का अनुवाद मेरे लिए एक बिलकुल नई तरह की चुनौती साबित हुआ। कॉन्ट्रैक्ट साइन करने के कुछ ही दिन बाद यानी जून के अन्त में मुझे पता चला कि ट्विटर पर अफवाह है कि रेत समाधि का अनुवाद एकदम नामुमकिन है. किसी भी भाषा में, इसका अनुवाद करना बहुत मुश्किल है।” इस भयंकर चुनौती का सामना कैसे किया ?

एक बहुत खास मदद गीतांजलि से मिली जो मेरे सारे प्रश्नों का जवाब देती रही. कभी शिकायत किए बिना कि लेखक का काम लिखने का है. बेवकूफ अनुवादकों की समस्याओं को हल करने का नहीं। एक खास शुक्रिया अपनी संपादिकाओं को जिनसे बहुत बड़ी मदद मिली न केवल काम पूरा करने के लिए मुझे एक एक्स्ट्रा महीना दिया बल्कि इन 5 महीनों तक भरपूर प्रोत्साहन देती रही। मेरे भेजे हुए हिस्सों के बारे में बार बार सफाई माँगकर सबसे बढ़िया पाठकों की तरह मेरे काम को मेजवाती रही।

यह सुझाव भी देती रही कि सोना मत भूलिए। वे शुरू से गीतांजलि की पुस्तक और उनकी शैली से बहुत प्रभावित हुई। और अंत में उन्होंने कहा कि यह नॉवल हिदुस्तानी गास्यां मार्केज की तरह है।” आनी ने अनुवाद के दौरान आए शाब्दिक अर्थ की परेशानियों को बहुत सूझबूझ से दूर करते हुए बताया कि. “मुझे तीन शब्द मिले जिनके स्वर, लगा, काम आ सकते हैं। तो तीनों को साथ लगा दिया। स्वरों के हिसाब से क्रम बदले कुछ कुछ ह्यूमर के साथ माने से वह हल मिला ताकि केवल शाब्दिक अनुवाद न हो।

गीतांजलि के भारतीय साहित्यिक संकेत में वापस नहीं ला पाई (यहाँ के पाठक वहाँ के साहित्य को नहीं जानते या बहुत कम) और जब उपन्यास में ऐसे संकेत सिर्फ किसी आधे शेर. आधी लाइन के रूप में आते हैं, लेखक के नाम के बिना तो और भी मुश्किल नाम का उल्लेख हो या पूरे कुटेशन आए तो ठीक. फुटनोट जोड़ सकती हूँ या किसी दूसरे तरीके से कुछ वाक्य दे सकती हूँ।

मगर नोट्स लगाने की भी कोई हद है.तो मुझे खुशी, राहत और हौसला मिले इन छोटी छोटी विजयों के कारण आनी मॉन्ते ने कहा, ‘इसका अनुवाद करने का एक और कारण था कि विदेशी पाठकों को इसमें आधुनिक भारत का एक तरह का सांस्कृतिक एनसाइक्लोपेडिआ मिलेगा सुंदर कहानी और सुंदर शैली के रस के साथ साथ यह अनुवाद मेरे लिए अनुवादक के काम में एक रहस्यमय अनुभव है और अनूदा हासिल है, और यह खासतौर से गीतांजलि की शैली के कारण है।”

सीमाओं को लाँघने के जोश वाले इस उपन्यास से प्रेरणा मिलती है कि संकल्प की कोई सीमा नहीं जो रोक सके।
भारतीय रंगमंच की दुनिया के दिग्गज कलाकार एवं निर्देशक राम गोपाल बजाज ने रेत समाधि पर अपने विचारों को कुछ इन शब्दों में व्यक्त किया है. ” रेत समाधि’ हाथ लगी तो पढ़ते ही बनता गया- आरंभ किर आगे पीछे लगातार विरल अनुभव, गद्य कि नाटच भंगिमा है कि गहन वन और पीड़ा का वितान है। मैं पाठक, इसे एक उपलब्धि मानता हूँ।”

राजकमल प्रकाशन समूह के साथ लाइव बातचीत में उन्होंने कहा था कि रेत समाधि की अम्मा एक संयुक्त परिवार की आम दिखती हुई महिला है जो पत्नी मा. दादी है जीवन से बेजार, विधवा, बिस्तर पकड़ी हुई अम्मा को जब परिवार उठाने की कोशिश करता है तो वो उठकर गायब हो जाती है। जब वो वापिस मिलती है तो एक संपूर्ण बदले हुए रूप में। दरअसल यह उपन्यास, एक औरत की जिजीविषा दोस्ती, विभाजन, माँ-बेटे, माँ-बेटी और प्यार के दीदार की कहानी है।

Author
Language Hindi
No. of Pages3
PDF Size0.1 MB
CategoryNovel
Source/Creditspdffile.co.in

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