महासमर बंधन भाग 1 | Mahasamar Bandhan Part 1 Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
“क्या हो गया है ।” सत्यवती ने झटके से अपनी बाँह छुड़ा ली, “भरत बंश का चवर्ती अपनी पत्नी को दिये गये वचनों को भूल गया है । भूल ही नहीं गया, আन-सुक्षकर उन वरदानों को वापस ले रहा है।
सत्य, धर्म, न्याय।”शान्तनु और धैर्य नहीं रख सके । कुछ उग्र होकर बोले, “मुख से शब्द निका लने से पहले कुछ सोच लेना चाहिए । पहली बात तो यह है कि मैंने तुम्हें न कोई वचन दिया है, न वरदान””।”
सत्यवती क्रुद्ध नागिन के समान फुफकारी, “झूठ बोल लो। सबकुछ अस्वीकार र दो। अब कह दो कि तुमने मुझसे विवाह भी नहीं किया है । चितांगद और विचित्रवीर्य तुम्हारे पुवर भी नहीं हैं ।
शान्तनु को लगा, उनका संयम अब टूट जायेगा और बहुत सम्भव है कि उनका हाय सत्यवती पर उठ जाये ।उन्होंने स्वयं को सम्हाला और यथासम्भव संयत स्वर में बोले,
“प्रतिज्ञाएँ भीष्म ने की हैं; और वह आज भी उन पर अटल है तथा भविष्य में भी रहेगा”””यह भी अटल है और तुम भी अटल हो। तुम जैसे घूत्तं तो मैंने देखे ही नहीं ।”
सत्यवती वैसे ही चिल्लाती रही, “वह युवराज नहीं बनेगा, मेरे पुत्रों का अभिभावक बनेगा ! वह चक्रवर्ती नहीं बनेगा, चक्रवर्ती का नियन्ता बनेगा वह राजा नही होगा, पर राजसत्ता उसकी होगी।
वह प्रजा पर शासन नहीं करेगा, मेरे पुत्र पर शासन करेगा । मेरा पुत्र राजसिंहासन पर बैठेगा, पर तुम्ही उस देवव्रत भीष्म का चाकर रहेगा।”सत्यवती खड़ी हॉफ रही थी।
मान्तनु सत्यवती की ओर देखते रहे : शायद वह कुछ और बोले; किन्तु वह कुछ नहीं बोली। अब कह दो कि तुमने मुझसे विवाह भी नहीं किया है ।
लेखक | नरेंद्र कोहली-Narendra Kohli |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 516 |
Pdf साइज़ | 206.7 MB |
Category | उपन्यास(Novel) |
महासमर बंधन भाग 1 | Mahasamar Bandhan Part 1 Book/Pustak Pdf Free Download