कविरत्न सत्यनारायणजी की जीवनी | Kaviratna Satyanarayanji Ki Jeevani Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
देख-सुनकर अनुमान तक न हो सकता था कि इस बोले में इतने अलौकिक गुण छिपे है । उनकी सादगी सभा-सोसाइटियो मे उनके प्रति अशिष्ट व्यपहार का कारण बन जाती थी।
इसकी बदौलत उन्हे कभी-कभी पक्के तक खाने पदते थे । ग्लेटफार्म की सीरियो पर मुश्किल रो बैठने पाते थे। इस जीवनी में ऐसे कई प्रसङ्गो का उल्लेख है।
इस प्रकार की एक घटना उन्होने स्वय सुनायी थी मधुराजी मे स्वामी रामतीर्थजी महाराज आये हुए थे। खबर पाकर सत्यनारायणजी भी दर्शन करने पहुँचे | स्वामीजी का व्याख्यान होने को था;
सभा मे श्रोताओ की भीव थी व्याख्यान का नान्दी पाठ-मंगलाचरण हो रहा था। अर्थात् कुछ भजनीक भजन अलाप रहे थे। सद्यःकवि लोग अपनी-अपनी ताजी तुकबन्दियाँ सुना रहे थे ।
सत्यनारायणजी के जी में भी उमङ्ग उठी; ये भी कुछ सुनाने की उठे। ब्यास्यान-बेदि की ओर बड़े आज्ञा मांगी, पर नागरिक’ प्रबन्धकर्ताओं ने इस “कोरे सत्य, ग्राम के वासी” को रास्ते में ही रोक दिया ।
देवयोग से उपस्थित सज्जनों मे कोई इन्हें पहचानते थे। उन्होंने कह-मुनर किसी तरह ५ मिनट का समय दिला दिया। श्रीकृष्णभक्ति के दो सवैये इन्होने अपने खास तुग में इस प्रकार पड़े कि सभा में सन्नाटा छा गया;
भावूक शिरोमणि श्रीस्वामी रामतीर्थजो सुनकर मस्ती में झूमने लगे, ५ मिनट का नियत समय समाप्त होने पर जब ये बैठने लगे तब स्वामीजी ने आग्रह और प्रेम से कहा कि अभी नहीं,
कुछ और सुनाओ । ये सुनाते गये और स्थामीजी अभी और, अभी और, कहते गये; व्याख्यान सुनाना भूल कर कविता सुनने में मग्न हो गये। ५ मिनिट की जगह पूरे पोन घंटे तक कविता-पाठ जारी रहा। मपुरा को भूमि, ग्रजभाषा मे श्रोकृदणचरित की कविता,
लेखक | बनारसीदास चतुर्वेदी-Banarsidas Chaturvedi |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 251 |
Pdf साइज़ | 16.1 MB |
Category | आत्मकथा(Biography) |
कविरत्न सत्यनारायणजी की जीवनी | Kaviratna Satyanarayanji Ki Jeevani Book/Pustak Pdf Free Download