सम्पूर्ण कामसूत्र | Kamasutra PDF In Hindi

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कामसूत्र – Vatsyayan Kamsutra Textbook All Parts PDF Free Download

महर्षि वात्स्यायन लिखित कामसूत्र (Kamsutra)

कामसूत्र वासना, संभोग से आगे बढ़कर स्त्री और पुरुष के अध्यात्मिक मिलन के बारे में बताता है,

भाग 1: साधारणम् (भूमिका))

नागरिक की जीवनयात्रा का रोचक वर्णन है।

  1. शास्त्रसंग्रहः
  2. त्रिवर्गप्रतिपत्तिः
  3. विद्यासमुद्देशः
  4. नागरकवृत्तम्
  5. नायकसहायदूतीकर्मविमर्शः

भाग 2: संप्रयोगिक (यौन मिलन- Concussion)

रतिक्रीड़ा, आलिंगन, चुंबन आदि कामक्रियाओं वर्णन करता है।

  1. प्रमाणकालभावेभ्यो रतअवस्थापनम्
  2. आलिङ्गनविचार
  3. चुम्बनविकल्पाः
  4. नखरदनजातयः
  5. दशनच्छेद्यविहयो
  6. संवेशनप्रकाराश्चिवरतानि
  7. प्रहणनप्रयोगास् तद्युक्ताश् च सीत्कृतक्रमाः
  8. पुरुषोपसृप्तानि पुरुषायितं
  9. औपरिष्टकं नवमो
  10. रतअरम्भअवसानिकं रतविशेषाः प्रणयकलहश् च

भाग 3: कन्यासम्प्रयुक्तकम् (पत्नीलाभ- wife’s benefit)

कन्या का वरण वर्णन करता है

  1. वरणसंविधानम् संबन्धनिश्चयः च
  2. कन्याविस्रम्भणम्
  3. बालायाम् उपक्रमाः इङ्गिताकारसूचनम् च
  4. एकपुरुषाभियोगाः
  5. विवाहयोग

भाग 4: भार्याधिकारिकम् (पत्नी से सम्पर्क -wife contact)

भार्या का कर्तव्य, सपत्नी के साथ उसका व्यवहार तथा राजाओं के अंतःपुर के विशिष्ट व्यवहार वर्णन करता हैं

  1. एकचारिणीवृत्तं प्रवासचर्या च
  2. ज्येष्ठादिवृत्त

भाग 5: पारदारिकम् – (अन्यान्य पत्नी संक्रान्त- other’s wife Contact)

वश में लाने का विशद वर्णन करता हैं

  1. स्त्रीपुरुषशीलवस्थापनं व्यावर्तनकारणाणि स्त्रीषु सिद्धाः पुरुषा अयत्नसाध्या योषितः
  2. परिचयकारणान्य् अभियोगा छेच्केद्
  3. भावपरीक्षा
  4. दूतीकर्माणि
  5. ईश्वरकामितं
  6. आन्तःपुरिकं दाररक्षितकं

भाग 6: वैशिक (रक्षिता)

विश्याओं के आचरण, क्रियाकलाप, धनिकों को वश में करने के हथकंडे

  1. सहायगम्यागम्यचिन्ता गमनकारणं गम्योपावर्तनं
  2. कान्तानुवृत्तं
  3. अर्थागमोपाया विरक्तलिङ्गानि विरक्तप्रतिपत्तिर् निष्कासनक्रमास्
  4. विशीर्णप्रतिसंधानं
  5. लाभविशेषाः
  6. अर्थानर्थनुबन्धसंशयविचारा वेश्याविशेषाश् च

भाग 7: औपनिषदिकम् (वशीकरण- ablution)

यहाँ उन औषधों का वर्णन है जिनका प्रयोग और सेवन करने से शरीर के दोनों वस्तुओं की, शोभा और शक्ति की, विशेष अभिवृद्धि होती है।

  1. सुभगंकरणं वशीकरणं वृष्याश् च योगाः
  2. नष्टरागप्रत्यानयनं वृद्धिविधयश् चित्राश् च योगा

संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित

श्लोक-15. तेषां कलाग्रहणे गंधर्वशालायां भिक्षुकीभवने तत्र तत्र च संदर्शनयोगाः ।।15।।

अर्थ- धनी लोगों, राजाओं या उच्च परिवार के युवक जब कला की शिक्षा लेने के लिए वेश्या के घर आये तो उनसे मिलने का अवसर अपनी तरुणी पुत्री को दे तथा वह लड़की अपने घर में | मिलने के बाद गंधर्व शाला, भिक्षुकों के घर जहां कहीं अवसर प्राप्त हो, उनसे भेंट प्रेम करती है।

श्लोक-16. तेषां यथोक्तदायिनां माता पाणि ग्राहयेत्।।16।।

अर्थ- तरुणी वेश्या पुत्री का मां जिन चीजों की मांग करती है तथा जिससे वे वस्तुएं प्राप्त हों, उसी के साथ अपनी पुत्री की शादी करें।

बिना जीवन नहीं चल सकता है। दूसरे जीव प्रकृति पर निर्भर रहकर प्राकृतिक रूप से अपना जीवन चला सकते हैं लेकिन मनुष्य ऐसानहीं कर सकता है क्योंकि वह दूसरे जीवों से बुद्धिमान होता है।

वह सामाजिक प्राणी है और समाज के नियमों बंधकर चलता है और चलना पसंद करता है।

समाज के नियम है कि मनुष्य गृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है तो सामाजिक, धार्मिक नियमों में बंधा होना जरूरी समझता है

और जब वह सामाजिक-धार्मिक नियमों मेंबंधा होता है तो उसे काम-विषयक ज्ञान को भी नियमबद्ध रूप से अपनाना जरूरीहो जाता है।

यही कारण है कि मनुष्य किसी खास मौसम में ही संभोग का सुख नहीं भोगता बल्कि हर दिन वह इस क्रिया का आनंद उठाना चाहता है। इसी ध्येय को सामने रखते हुए आचार्य वात्स्यायन के काम के सूत्रों की रचना की है।

इन सूत्रों में काम के नियम बताए गए है। इन नियमों का पालन करके मनुष्य और भी ज्यादा लंबे समय तक चलने वाला और आनंदमय बना सकता है।

संभोग सुख को आचार्य वात्स्यायन ने कामसूत्र कीशुरुआत करते हुए पहले ही सूत्र में धर्म को महत्व दिया है तथा धर्म, अर्थऔर काम को नमस्कार किया है।

आचार्य वात्स्यायन ने काम के इसशास्त्र में मुख्य रूप से धर्म, अर्थ और काम को महत्व दिया है और उन्हें नमस्कार किया है भारतीय सभ्यता की आधारशिला 4 वर्ग होते हैं धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष।

मनुष्य की सारी इच्छाएं इन्ही चारों के अंदर मौजूद होती है।मनुष्य के शरीर में जरूरतों को चाहने वाले जो अंग हो यह चारों पदार्थ उनकीपूर्ति किया करते हैं।

इसके अंतर्गत शरीर, बुदधि, मन और आत्मा यह 4 अंग सारी जरूरतों और इच्छाओं के चाहने वाले होते हैं।

इनकीपूर्ति धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष दवारा होती है। शरीर के विकास और पोषण केलिए अर्थ की जरूरत होती है। शरीर के पोषण के बाद उसका झुकाव संभोग की और होता है।

बुद्धि के लिए धर्म ज्ञान देता है। अच्छाई और बुराई का ज्ञान देने के साथ-साथ उसे सही रास्ता देता है। सदमार्ग से आत्मा को शांति मिलती है।

आत्मा की शांति से मनुष्य मोक्ष के रास्ते की ओर बढ़ने का प्रयास करता है। यह नियम हर काल में एक ही जैसे रहे हैं और ऐसे ही रहेंगे।

श्लोक-25. प्रतनुरलक्षणाल्पदुकूलता परमितिमाभरणं सुगंन्धिता नात्युल्वऩणमनुलेपनम् । तथा शुक्लान्यन्यानि पुष्पाणीति वैहारिको वेषः।।25।।

अर्थ- यदि स्त्री को किसी कार्यक्रम या कहीं घूमने जाना हो तो वह हल्का, पतला तथा चिकना वस्त्र ही पहने। सिर्फ कान तथा गले में ही आभूषण पहने। बालों में सफेद फूल गुंथे हो तथा शरीर पर चंदन का हल्का लेप लगा हो।

श्लोक-26. नायकस्य व्रतमुपवासं च स्वयमपि करणेनानुवर्तेत वारितायां च नाहमात्र निर्बंधनीयेति तद्वचसो निवर्तनम्।12611

अर्थ- पति भक्त प्रकट करने के लिए पति की तरह व्रत और नियम पत्नी को भी करना चाहिए। यदि पति व्रत या उपवास करने से मना करे तो पत्नी को अपनी पति भक्ति प्रकट करते हुए कहना चाहिए कि मैं कैसे मान सकती हूं। मैं तो आपकी अनुगामिनी हूं।

लेखक महर्षि वात्स्यायन – Maharishi Vatsyayana
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ180
PDF साइज़4 MB
Categoryसाहित्य(Literature)
Credit: ourhindi

कामसूत्र सम्पूर्ण संस्कृत किताब(Origional)

यह पुस्तक सम्पूर्ण संस्कृत भाषा में लिखा गया है जिसको आप textbook की तरह भी उपयोग कर सकते हो. जो 353 पन्ने और 255 MB साइज की फाइल है, इस वजह से download करते समय wifi का उपयोग करे.. यह हरिदास ग्रथ माला द्वारा प्रकाशित है.

सातों भाग- श्लोक अर्थ सहित

उपरी दो किताब के अलावा निचे 7 भाग दिए है, यह सातों भाग कामसूत्र के संस्कृत श्लोका और हिंदी अनुवाद के साथ दिए है,

Download करे (Credit: 44books)

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