जैन धर्म प्रवेशिका | Jain Dharma Praveshika PDF

जैन धर्म प्रवेशिका – Jain Dharma Praveshika Pdf Free Download

जैन धर्म प्रवेशिका

वह सही बा सैनी कहलाते हैं और जिनक नहीं हैता है ये असदी चा असैनी कहाते हैं, इस सारे संसार के तीन भाग हैं और तीन लोक कहलाते हैं, यह हमारी पृथ्वी मध्य लोक है

इस से नीचे नरक और ऊपर स्वर्ग है, जो भारी पाप करते हैं वह नरक जाते हैं और महादुख पाते हैं, अधिक पुन्यवान् स्वर्ग जाते हैं, देव कहलाते हैं और संसार का सुख भोगते हैं,

नरक के नारकी, स्वर्गों के देव और मनुष्यों के सिवाय पशु पक्षी कीड़े मकौड़े और वनस्पति आदि जितने भी जीव हैं वह सब तिर्यंच कहलाते हैं, देव नारकी और मनु प्य सव पंचेन्दिय और सही अर्थात् मन वाले ही होते हैं,

में कोई एकेंद्रिय, कोई दो इंद्रिय कोई तेईदिय कोई चौइंद्रिय और कोइ पंचेंद्रिय होते हैं और पंचेंद्रियों में भी कोई सेक्सी और कोई असंज्ञी होते हैं, मनुष्यों का जन्म पिता के द्वारा माता के पेट में गर्भ रहने से ही होता है

इस ही वास्ते गर्भज कहलाते हैं, तिर्यचों में भी जो संजी पंचेन्द्रिय हैं वह भी गर्भज ही हैं वाकी सब तिर्यंच सम्मूर्छन हैं जिनका जन्म माता के पेट से नहीं होता है

किन्तु जिनका शरीर अपने योग्य सामग्री मिलने से ही बन जाता है, जैसे सिर की जूं, खाट के खटमल और वनस्पति आदि, देव और नारकियों का जन्म नतो गर्भ से ही होता है

सम्मू- र्छन रीति से ही, किन्तु एक निराली ही जीव और अजीब यह दो ही प्रकार के पदार्थ संसार में हैं इनसे भिन्न और कुछ भी नहीं है, मनुष्य और हार्थी घोड़ा बैल गाय भेड़ बकरी

चील कबूतर सांप बिच्छू कीड़ा मकौड़ा ग्रादि जिनमें कमती बढ़ती कुछ भी जान है यह सब जीव हैं और ईंट पत्थर घड़ा मटका कपड़ा जूता कुर्सी मेज़ खाट किताब कलम दाबात कागज़ आदि जिनमें कुछ भी ज्ञान नहीं है वह अजीब है,

लेखक सूरजभानजी वकील-Surajbhanji Vakil
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 100
Pdf साइज़3 MB
Categoryधार्मिक(Religious)

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