धरती और आसमान | Dharti Aur Asman Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
सीढ़ियों पर मिण-त्रिम परकार के खुदरंग बहुमूल्य पत्थर लगे थे, बोर खिड़कियों पर बिल्ीर के किवाड़ थे, जिनमें थेण्डि- चत्र की बहार बैठे ही बैठे दीस पड़ती थी। दूसरे धागन में गाड़ी, बैस, चौडे, हाथी बंधे थे और महावत उन्हें चावल-बी खिना रहे थे ।
तीसरे आंगन में अतिविशाला तथा बागल जनों के ठहरने का प्रबन्ध था। यहां बहुत सुन्दर विशाल पत्थरों के खम्भों पर महराव खड़े हुए थे। चौथे अगन में नाट्यशाला और गायनभवन या। पांचवें आंगन में भिन्न-भिन्न प्रकार के शिल्पकार चौर जौहरी लोग नाना प्रकार के प्राभूषण बना और रत्नों को घिस रहे थे ।
छठे प्रांगन में भिन्न-भिन्न देश के पशु-पक्षियों का अद्भुत संग्रह पा । सातबां अंगन बिल्कुल श्वेत पत्थर का बना था, और उसमें सुनहरा काम हो रहा था । इसमें दो भीमकाय सिंह स्वर्ण की मेखलायों से दृढ़तापूर्वक बंधे थे और चांदी के पात्रों में पानी भरा उनके निकट धरा था ।
गृह-स्वामिनी धम्बपालिका इसी कक्ष में विराजती थी। सम्पया हो गई थी । परियारक और परियास्काएं रोड-पार कर रही पीं। कोई सुगन्धित जल जांगन में छिड़क रही थी, कोई धूप जलाकर भवन को सुवा सित कर रही थी, कोई सहस्र दीप-गुच्छ में सुगन्धित तेल डालकर प्रकाशित करने में व्यस्त थी ।
बहुत-से माली तोरण प्ौर प्रलिन्द पर ताजे पुष्पों के गुलदस्ते घोर मालामों को सजा रहे थे । प्रतिन्द में दण्डधर पपने-प्रपने स्थानों पर भाला टेके स्थिर भाव से खड़े थे । द्वारपाल तोरण पर अपने द्वार-रक्षक दल के साथ सशस्त्र उपस्थित था।
क्षण-भर बाद प्रासाद भांति-भांति के रंगीन प्रकाशों से जगमगा उठा। भांति-भांति के रंगीन फव्वारे चलने लगे और उनपर प्रकाश का प्रतिबिम्ब इन्द्रधनुष की बहार दिखाने लसातवें तोरण के भीतर श्वेत पत्थर के एक विशाल सभा-भवन में अम्ब
लेखक | आचार्य चतुरसेन-Acharya Chatursen |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 264 |
Pdf साइज़ | 12.2 MB |
Category | कहानियाँ(Story) |
धरती और आसमान | Dharti Aur Asman Book/Pustak Pdf Free Download