अथर्ववेद भाष्यम प्रथम काण्डम | Atharvaveda Bhashyam Book/Pustak Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
निःखन्देद अथ वद समय है कि सब ख्री पुवाप अर घर में पेदी र्थ आा और धर्मश होकर पुवपार्थी धनं भारतीय और अन्य ेशीय चिह्ान मीं पंदर का अर्थ खोजने और प्रकाशित करने में बड़ा परिश्रम उठा रहे हैं।
गाय – विचार है कि वेदों का यथाणानि सरল, स्प्ट, प्रामामिक, अर अनग सूल्य भाष्य प्रस्तुत हो, जिस से सब लोग स्वाच्याय [चरदो पे प्र्थ समभने थार विचारने में लाम उटाये ।
परमेश्वर के अनुनाह से यह मन रथ सिन्ध होते लमा है, अर्थात् निम्न सीमित यदिक प्रन्ध उपस्थित हैं और इंति जाते हैं । अयर्यवेद भाष्य । जिस भाष्य की इतने दिनों से प्रतीक्षा दोर पी, जिस चौये चेद के स्वाध्याय करने के लिये
आप को चढ़ा लालसा लगी हुर्या थी, : जिस के लिये बहुत से मदाशयों के नामों से ग्राहक सूची पूरित है, उस चेद फ प्रथम काण्ड अब सर्वशचिमान् जगदीश्वर की परम रुपा ते सरल भाषा: सान्वय पदार्थ, भावार्थ, टिप्पणी, अন্তरुप नन्य, एजोप पडि श्र संस्टकृट ।
व्याकरणा, निरुक व्यादि सहित आप के सामने विद्यमान है । इस के साथ अथर्ववेद भूमिका में है जिस में सायण भाष्य चार अथर्ववेद चिन्तार dि दापयोगी विषयों का वर्णन है ।
बदिया नायल आटपेजो पृष्ठ ३०८ मृल्य १) 2-अथर्ववेद भाष्य, काण्ड —सी प्रकार बहुत शीघ्र छुपय प्रकाशित होगा। मूल्य प्रथम काम पे ,लग भम होगा। ३-प्रथर्ववेद भाप्य सम्पूर्ण- प्रथर्वचे में २० कारड हैं कोई खोट है कोई बड़ा ।
भाष्य पूरे एक एक काण्ड का छपता है जिस ते उस फाय पूरा विपय जान पड़े। प्रत्येक काण्ड का मूल्य उसके विस्तार यो अनुस होगा। जो माशय सनातन वेदविद्या के प्रोमी अपने नाम पूरे भाप के लिदे अन्य छपने से पूर्व गयादकतूची में लिगावंगे,
लेखक | क्षेमकरणदास त्रिवेदी-Kshemkarandas Trivedi |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 204 |
Pdf साइज़ | 9.6 MB |
Category | Religious |
अथर्ववेद भाष्यम प्रथम काण्डम | Atharvaveda Bhashyam Book/Pustak Pdf Free Download