ऐस्ट्रो पामिस्ट्री के महत्वपूर्ण सूत्र | Astro Palmistry Book PDF

हस्त रेखा के महत्वपूर्ण सूत्र – Astro Palmistry Important Book Pdf Free Download

किताब के विषय

  1. भारतीय हस्तरेखाओं का इतिहासः हथेली में ग्रहों के स्थान (चित्र)
  2. ऐस्ट्रो पामिस्ट्री के कुछ महत्वपूर्ण सूत्र

(i) हथेली में ग्रहों का स्थान

(ii) हथेली में राशियों के स्थान

(iii) हस्तरेखाओं का जन्मांग से ताल-मेल

(iv) लाल किताब के अनुसार

  1. हस्तरेखाओं में राहु व केतु का स्थान
  2. सूर्य रेखाओं का विश्लेषण (चित्र)
  3. सूर्य रेखा से जन्म महीना निकालना
  4. जन्म वार से आयु की परीक्षा
  5. द्वादश भावों से रेखाओं का सम्बन्ध
  6. चेहरे से लग्न की पहचान 10. लग्न से ग्रहों की पहचान
  7. ग्रहों की विशेष स्थिति को बताने वाली विशिष्ट रेखाएँ

(i). सूर्य की स्थिति द्वादश भावों में

(ii) चन्द्र की स्थिति द्वादश भावों में

(iii) मंगल की स्थिति द्वादश भावों में

(iv) बुध की स्थिति द्वादश भावों में

(v) बृहस्पति की स्थिति द्वादश भावों में

(vi) शुक्र की स्थिति द्वादश भावों में

(vii) शनि की स्थिति द्वादश भावों में

(viii) राहु की स्थिति दादश भावों में

(ix) केतु की स्थिति द्वादश भावों में

हथेली में बृहस्पति का पर्वत गायब हो, भाग्य रेखा सूर्य रेखा से न मिलती हो, कर्क राशि क्षेत्र में त्रिकोण हो, भाग्य रेखा या हृदय रेखा अपने प्रारम्भ या अन्त में द्विशाखी हो, भाग्य रेखा का उदय त्रिकोण में हो, अंगुलियों के अग्रभाग पर कुल आठ ऊर्ध्व रेखाएं हों तो बृहस्पति अष्टम स्थान में होगा।

शुभ फल-धनवान, किसी के अधीन न वाला, हर काम को गुप्त रखने की चेष्टा रखने वाला, दीन दुःखियों की सेवा करने वाला, परोपकारी.

जंगल में मंगल मनाने वाला. परिवार में लम्बी आयु वाला, स्त्री पक्ष से धन पाता है, ससुराल धनाढ्य होती है एवं जातक के लिए सभी मददगार रहते हैं।

निशानियाँ-दुनियाँ की आवाज, जातक शरीर पर सोना पहनेगा तो सुखी रहेगा। कुण्डली में यदि शुक्र 2, 6 या ४वें सन्तान अधिक होगी।

पाँच से अधिक पुत्रों का योग बनता है। सन्तान रेखा भविष्यवाणी करें अशुभ बृहस्पति की अष्टम भाव में स्थिति किसी भाग्यवान के होंठ बहुत मोटे न हों,

शरीर में धड़ व पैर बराबर से लम्ब हा, भ बाल आकर्षक हों, लालिमा लिए हुए गेहुआँ-सा रंग हो, गर्दन में 2-3 रेखाएं साफ दिखती हों, 11 9 मुँह अर्थात् होठों की चौड़ाई कुछ लम्बी हो,

स्वभाव में आक्रामक, परम पराक्रमी व अधैर्यशाली तथा विशेष मनोबली हो तो समझिए कि जन्म समय में मंगल स्वगृही या उच्च का होकर केन्द्र में होगा।

ऐसे लोग अपनी हिम्मत से आगे बढ़ने वाले होते हैं। इनके शरीर में खून मांस की प्रधानता होती है।

अर्थात् शरीर में मांसलता व रक्त की लालिमा साफ झलकती है। लेकिन इनकी जांच व पिण्डलियाँ अधिक मजबूत नहीं दिखती हैं। इनके शरीर की लम्बाई प्रायः अपनी अंगुली के नाप से 96-100 अंगुल या छ: फीट के आसपास होती है।

लेखक भोजराज द्विवेदी-Bhojraj Dwivedi
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 6
Pdf साइज़3.7 MB
Categoryज्योतिष(Astrology)

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