आपका स्वस्थ्य | Apka Swasthya Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
भगवान ने शैतान बनाया, हैवान बनाया और इन्सान बनाया । तान को इन्सान की दस से नफरत थी आज भी है, और कितने ही इन्सान आज भी दोनों को फूटी बात नहीं सुहाते । हैवान श्री इन्सान से प्रसन्न नही पे और न बाज है । इन्सान जब उत्पन्न हुआ तभी शैतान और हैवान उसके विनाश की तरकीबें सोचने लगे थे
कंस को तो इन्सान और इन्सानियत से इतनी चिढ थी कि उसने अपनी बहन देवकी की छह सन्तानें केवल इस-लिए नष्ट कर दी कि इन्सान उसके साम्राज्य में कही उत्पन्दन हो जहये। तान और हैवान को अंत में सफलता मिली। इन्सान अवज्ञा कर बैठा। निर्माता कुपित हो गया इन्सान का स्वर्ग में रहना अव सभव म पा।
उसे पृथ्वी पर भेज दिया गया। पाप और मृत्यु अवजा का दर है। दोनों ही साथ रहे हैं और साथ रहेंगे।इन्सान जब पृथ्वी पर आया तो दौतान और हैवान, पाप और मृत्यु उसनी प्रतीक्षा कर रहे थे । उन्होंने रूप बदला, आकार बदला और रहन- राहन ही नहीं, अपितु अभिशप्त को प्रताडित करने का तरीका भी बदल डाला।
रोग और रोगाणुओ ना जन्म हुआ। सुक्ष्मातिसूक्ष्म रोगाणु, मूक्ष्म रोगाणु, सामान्य रोगाणु और दीर्घकाय मानद सदृश रोगाणु। कुछ इन्सान मे दुश्मन ! कुछ इन्सानियत के शत्रु प्रेमी की प्रेयसी का हरण किया, मुहागिनों के सिदूर पोहे, गौदी के सान छोने, बधों का आधय कुचल दिमा, कूल का दीपक युना दिया ।
प के तारे नष्ट, दिल के दुलारे नप्ट । रायण, कुम्भकरण, दुर्योधन, दुशासग प्राचीन रोगाणु है नादिरशाह जोर ंगेज खा अर्वाचीन । इनके कारनामों रे स्वर्ग से भी महान जननी और जन्मभूमि का मस्तक लज्जा से झुक जाता है। समस्त भूमंडल अवलाओं, अपाहिजों और दिशाओं की चीकारो से भर जाता है ।
लेखक | बलराज सिंह सिरोही-Balraj Singh Sirohi |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 126 |
Pdf साइज़ | 1.8 MB |
Category | स्वास्थ्य(Health) |
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